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टीबी एक संक्रामक बीमारी है, छिपाने के बजाय समय पर इलाज जरूरी - डॉ. दिलशाद आलम- doctor-dilshad



- दो हफ्ते से ज्यादा खांसी रहने पर तुरंत कराएं जांच, सभी सरकार अस्पतालों में उपलब्ध है मुफ्त जांच 
- निक्षय पोषण योजना के तहत टीबी मरीजों को सरकार द्वारा दी जाती है सहायता राशि 

(बक्सर ऑनलाइन न्यूज):-  जिला मुख्यालय अंतर्गत चीनी मिल कॉलोनी स्थित साबित खिदमत फाउंडेशन एंड हॉस्पिटल के निदेशक सह मानवाधिकार संगठन के बक्सर जिला अध्यक्ष डॉ. दिलशाद आलम ने टीबी रोग को लेकर अपनी अनुभव एवं सलाह शेयर करते हुए कहा कि हमारे शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र हर समय रोगजनक जीवाणुओं से लड़ता रहता है। लेकिन, प्रतिरण प्रणली कमजोर होने की स्थिति में कई बीमारियां हावी होने लगती हैं। ऐसी ही, बीमारियों में से एक है टीबी। जिसे तपेदिक या क्षय रोग के नाम से भी जाना जाता है। टीबी का पूरा नाम ट्यूबरक्लोसिस है, जो ‘माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस’ नामक जीवाणु से होता है। टीबी रोग मुख्य रूप से फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है। हालांकि, टीबी का वायरस आंत, मस्तिष्क, हड्डियों, जोड़ों, गुर्दे, त्वचा तथा हृदय को भी प्रभावित कर सकता है। टीबी एक संक्रामक बीमारी, छिपाने के बजाय समय पर इलाज जरूरी है। यदि समय पर टीबी का इलाज नहीं हुआ, तो उसके गंभीर परिणाम भी हो सकते हैं।

जिले के सुप्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. दिलशाद आलम ने बताया, टीबी जांच के लिए सभी सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क जांच की सुविधा है। जिला मुख्यालय और डुमरांव अनुमंडल अस्पताल के अलावा सिमरी, राजपुर व ब्रह्मपुर पीएचसी में सीबी-नॉट के माध्यम से चिह्नित मरीजों में टीबी की नि:शुल्क जांच की जा रही है। साथ ही, अब जिले के सभी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर भी टीबी सैम्पलिंग की सुविधा शुरू कर दी गई है। ताकि संबंधित मरीज सुविधाजनक तरीके से जांच करा सके और उन्हें कोई असुविधा न हो। उन्होंने बताया कि उक्त सेंटर पर सैंपल लेकर जांच के लिए स्थानीय स्वास्थ्य संस्थान भेजा जाता है। वहां से रिपोर्ट आने के बाद मरीजों को टीबी की दवा उपलब्ध करा दी जाती है। 
 
टीबी मरीजों को मास्क पहनने की सलाह दी जाती है

डॉ. दिलशाद आलम ने बताया, टीबी का वायरस संक्रमित मरीज से दूसरे स्वास्थ्य व्यक्ति में जा सकता है। इसलिए टीबी मरीजों को मास्क पहनने की सलाह दी जाती है। ताकि, दूसरे लोगों में संक्रमण न फैले। उन्होंने कहा कि टीबी का लक्षण महसूस होते ही ऐसे लोगों को बिना देर किए अपनी बलगम सहित अन्य टीबी की जांच करवानी चाहिए। जिला के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में मुफ्त जांच एवं दवाई की सुविधा उपलब्ध है। इसके साथ ही ऐसे मरीजों को उचित पोषण आहार के लिए प्रधानमंत्री मंत्री निक्षय पोषण योजना के तहत सहायता राशि भी दी जाती है।

 ये हैं टीबी के लक्षण :
- भूख न लगना, कम लगना तथा वजन अचानक कम हो जाना।
- बेचैनी एवं सुस्ती छाए रहना, सीने में दर्द का एहसास होना, थकावट रहना व रात में पसीना आना।
- हलका बुखार रहना, हरारत रहना।
- लगातार खांसी रहना, खांसी में बलगम आना तथा बलगम में खून आना। कभी-कभी जोर से अचानक खांसी में खून आ जाना।
- गहरी सांस लेने में सीने में दर्द होना, कमर की हड्डी पर सूजन, घुटने में दर्द, घुटने मोड़ने में परेशानी आदि।

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