- सदर प्रखंड के पांडेयपट्टी एचडब्ल्यूसी में विश्व स्तनापन सप्ताह के अवसर पर संगोष्ठी का आयोजन
(बक्सर):- विश्व स्तनपान सप्ताह के अवसर पर जिले के सभी प्रखंडों में विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है। जिसके माध्यम से गर्भवती व धातृ महिलाओं को शिशुओं को नियमित स्तनपान कराने के लिए जागरूक किया जा रहा है। इसी संदर्भ में बुधवार को सदर प्रखंड स्थित पांडेय पट्टी के हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में भी ग्रामीण इलाकों की महिलाओं को जागरूक करने के उद्देश्य से स्तनपान पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें सीएचओ श्वेता सिंह ने महिलाओं को स्तनपान कराने के फायदों के संबंध में बताया। उन्होंनें बताया कि प्रत्येक वर्ष अगस्त माह के पहले सप्ताह में एक से सात अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाता है। इसका उद्देश्य महिलाओं को स्तनपान के लिए प्रोत्साहित करना तथा कामकाजी महिलाओं को उनके स्तनपान संबंधी अधिकार के प्रति जागरूकता प्रदान करना है। इस दौरान आशा फैसिलिटेटर अर्चना श्रीवास्तव, आशा कार्यकर्ता नीतू देवी, शकुंतला देवी, उर्मिला देवी, मंजु देवी, मालती देवी के अलावा आंगनबाड़ी केंद्रों की सेविकाएं व ग्रामीण महिलाएं मौजूद रहीं।
पोषण के साथ बच्चों की शिक्षा भी जरूरी :
सीएचओ श्वेता सिंह ने बताया, हर साल अगल अलग थीम पर इस सप्ताह का संचालन किया जाता है। इस साल 'स्तनपान के लिए कदम : शिक्षित और समर्थन' थीम पर स्तनपान सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है। ताकि, माताओं को बच्चों के पोषण के साथ-साथ उनके भविष्य के प्रति जागरूक किया जा सके। इसलिए स्वास्थ्य विभाग ने सभी आशा कार्यकर्ताओं को गृह भ्रमण के दौरान शिक्षा के महत्व और स्तनपान के लिए समर्थन के प्रति लाभुकों को जागरूक करने की भी जिम्मेदारी दी है। उन्होंने बताया कि जैसे बच्चों के सही विकास के लिए जिस प्रकार स्तनपान महत्वपूर्ण है। ठीक उसी प्रकार समाज के विकास के लिए शिक्षा की अलख जगाना भी जरूरी है। तभी आने वाले भविष्य में हमारा जिला, राज्य और देश तरक्की कर सकेगा।
माता का दूध बच्चों के लिए पहला टीकाकरण :
सीएचओ ने ग्रामीण महिलाओं को बताया, माता का दूध बच्चों के लिए पहला टीकाकरण है। प्रसव के पहले एक घंटे में बच्चों को स्तनपान कराना बेहद जरूरी होता है। क्योंकि इस दौरान मां का पहला पीला गाढ़ा दूध नवजात के श्रेष्ठतम बढोत्तरी व विकास में मदद करता है। मां का दूध नवजात शिशु के लिए असीम आशीर्वाद है। इसलिए चिकित्सक भी जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान जरूर कराने पर बल देते हैं। उन्होंने बताया बच्चे के लिए मां का दूध संपूर्ण आहार होता है। छह महीने तक बच्चों को सिर्फ माता का दूध ही पिलाना चाहिए। माता के दूध में पाये जाने वाला कोलेस्ट्रम से शिशुओं को प्रतिरोधक क्षमता प्राप्त होती है जिससे रोगों से सुरक्षा होती एवं उनकी समुचित वृद्धि तथा विकास होता है।
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