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जिला प्रशासन के माध्यम से टीबी मरीजों को उपचार के लिए गोद लेने का काम होगा शुरू




- राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत अडॉप्ट पीपल विद टीबी योजना का लाभ उठा सकेंगे मरीज
- निजी संस्थानों के सीएसआर फंड, जनप्रतिनिधियों के फंड व एनजीओ के माध्यम से दिलाया जाएगा लाभ

बक्सर:-  2025 तक जिला समेत पूरे राज्य से टीबी को पूरी तरह से खत्म करने की दिशा में स्वास्थ्य विभाग लगातार कार्य कर रहा है। इस बीच, टीबी मरीजों के लिए अच्छी खबर यह है कि अब उन्हें उपचार के लिए इधर-उधर कार्यालयों का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा। इसके लिए स्थानीय लोगों को राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत अडॉप्ट पीपल विद टीबी योजना से जोड़ा जाएगा। जो टीबी के मरीजों को गोद लेंगे और उनके उपचार की पूरी जिम्मदारी भी। राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम में आम लोगों की सहभागिता बढ़ाने के लिए इस योजना की शुरुआत की जा रही है। हालांकि, इसके लिए जिला प्रशासन के स्तर से ऐसे लोगों का चयन किया जाएगा, जो टीबी मरीजों की उपचार की जिम्मेदारी उठा सकें। इसके लिए निजी संस्थानों, एनजीओ और जनप्रतिनिधियों की सहायता ली जाएगी। उसके बाद आम लोगों को भी इस योजना में शामिल किया जाएगा। 
मरीजों से कंसेंट फॉर्म लिया जा रहा है :
अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी सह सीडीओ डॉ. अनिल भट्ट ने बताया, विभाग ने इसके लिए मेल के माध्यम से सूचना दी है। जिसके आधार पर जिला प्रशासन को सूचना दी गई है। जिलाधिकारी अमन समीर ने इसे संचालित करने पर पूरी सहमति जताई है। लेकिन, अब तक किसी भी प्रकार की गाइडलाइन नहीं आयी है। हालांकि, इसके पूर्व जिले के सभी टीबी मरीजों से कंसेंट फॉर्म भरवाया जा रहा है। जिले में अब तक 1562 टीबी मरीजों का नोटिफिकेशन हुआ है, जिनमें से 577 का ही कंसेंट फॉर्म मिला है। जैसे ही सभी मरीजों का फॉर्म प्राप्त हो जाएगा, उसके बाद योजना के तहत माइक्रोप्लान तैयार किया जाएगा। इस योजना के तहत कोई भी स्वयंसेवी संस्था, औद्योगिक इकाई या संगठन, राजनीतिक दल या कोई व्यक्ति टीबी के मरीज को गोद ले सकेगा, ताकि वह उसका समुचित इलाज करा सके।
निजी संस्थानों से किया जा रहा संपर्क :
डॉ. अनिल भट्ट ने बताया, इस योजना को मूर्त रूप देने के लिए सबसे पहले निजी संस्थानों से संपर्क किया जा रहा है। क्योंकि निजी संस्थानों के पास कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी (सीएसआर) फंड होता है। जिसका उपयोग वे इस योजना के तहत मरीजों को गोद लेकर कर सकते हैं। वहीं, कई एनजीओ भी हैं, जो ऐसे कार्यों में रुचि रखते हैं। साथ ही, जिला प्रशासन के माध्यम से जनप्रतिनिधियों को भी इसमें शामिल होने के लिए प्रेरित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस योजना का मुख्य उद्देश्य टीबी रोगियों मरीजों से भावनात्मक संबंध बनाना है। गोद लेने वाली संस्था या व्यक्ति मरीज की निगरानी के साथ उनके विश्वास को भी बढ़ाएंगे। मरीजों को अस्पताल ले जाने में मदद करेंगे। सामाजिक दायित्व के तहत मरीजों को अस्पताल आने जाने, इलाज और खानपान का खर्च उठाएंगे। वहीं, मरीजों को निक्षय पोषण योजना के तहत मिलने वाली 500 राशि दिलाने में मदद करेंगे।


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