- संक्रमित होने के सात से आठ साल के बाद में दिखाई देते हैं फाइलेरिया के लक्षण
- जिले के हाथीपांव के मरीजों के बीच होगा एमएमडीपी किट का वितरण
बक्सर | फाइलेरिया यानी की हाथी पांव ऐसी बीमारी है, जो मरीज को दिव्यांग बनाने में विश्व में दूसरे नंबर पर आती है। ऐसे में सरकार फाइलेरिया की रोकथाम के लिए लगातार प्रयासरत है। वहीं, अब तक जिले में जितने भी मरीज हुए हैं, उनको चिह्नित करते हुए उनके बीच एमएमडीपी किट का वितरण करती है। इसके लिए जिला स्वास्थ्य समिति ने भी तैयारी शुरू कर दी है। आगामी 14-15 दिसंबर को जिले के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के पदाधिकारियों और कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। जिसमें मरीजों को एमएमडीपी किट के वितरण कार्यक्रम से लेकर उसके इस्तेमाल और निगरानी की रूपरेखा से अवगत कराया जाएगा। तत्पश्चात प्रखंडवार हाथीपांव के मरीजों के बीच किट का वितरण किया जाएगा। जिसके लिए पूर्व में ही सभी पीएचसी से मरीजों की सूची मांग ली गई है।
सात से आठ साल के बाद में दिखाई देते हैं लक्षण :
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. शैलेंद्र कुमार ने बताया कि अमूमन फाइलेरिया बीमारी का संक्रमण बचपन या किशोरावस्था में होता है, लेकिन इसके लक्षण संक्रमित होने के सात से आठ साल के बाद में दिखाई देते हैं। अगर इस बीमारी की समय पर पहचान कर ली जाए, तो शरीर को खराब होने से बचाया जा सकता है। हाथी पांव होने पर इस परेशानी को प्राथमिक अवस्था में रोका जा सकता है। उन्होंने बताया कि यह बीमारी मच्छरों के काटने से फैलती है। ये मच्छर फ्युलेक्स एवं मैनसोनाइडिस प्रजाति के होते हैं। जिसमें मच्छर एक धागे समान परजीवी को छोड़ता और ये परजीवी हमारे शरीर में प्रवेश कर जाता है। इस संक्रमण की शुरूआत बचपन में ही होती लेकिन शरीर में इसके लक्षण लम्बे समय बाद दिखते हैं।
शुरुआती दिनों में पैरों में होने लगती है सूजन :
जिला वेक्टर जनित रोग सलाहकार राजीव कुमार ने बताया किसी स्वस्थ्य मरीज के शरीर में फाइलेरिया का जीवाणु प्रवेश करता है, तो काफी समय तक वो सामान्य और स्वस्थ्य दिखता । मगर कुछ सालों के बाद अचानक उसकी टांगों, हाथों एवं शरीर के अन्य अंगों में सूजन आने लगती है। शुरुआती दिनों में पैरों में सूजन होने लगती है। धीरे-धीरे सूजन स्थायी तौर पर रहता और बाद में बढ़ने लगता है। जो आगे चलकर मरीज को दिव्यांग बना देता है। इसलिए यदि किसी के पैरों में सूजन रहने लगे, तो उन्हें तत्काल फाइलेरिया की जांच करानी चाहिए। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया में बुखार, बदन में खुजली और पुरुषों के जननांग और उसके आस-पास दर्द व सूजन की समस्या होती है। पैरों और हाथों में सूजन, हाइड्रोसील में सूजन भी फाइलेरिया के लक्षण हैं। फाइलेरिया का संक्रमण बचपन में ही आ जाता है, लेकिन कई सालों तक इसके लक्षण नजर नहीं आते। फाइलेरिया न सिर्फ व्यक्ति को दिव्यांग बना देता बल्कि इससे मरीज की मानसिक स्थिति पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।
फाइलेरिया के मरीज इस तरह रखें अपना ध्यान:
- हाथ पैरों पर अगर कहीं कोई घाव है तो उसे अच्छे से साफ करें और सुखाकर उसपर दवाई लगाएं।
- मरीज को अपने पैर बिस्तर से छह इंच ऊंचा रखना चाहिए। पैरों को बराबर रख कर रिलेक्स रखना चाहिए।
- पैरों में हमेशा पट्टे वाली ढीली चप्पल पहनें ।
- सूजन वाली जगह को हमेशा चोट से बचाएं।
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