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जिले के 200 टीबी मरीजों का होगा इंटरव्यू, ऑनलाइन फीड किया जाएगा जवाब




- टीबी सेंटर, डब्ल्यूएचओ और पीसीआई संयुक्त रूप से अभियान में होंगे शामिल
- मरीजों से इलाज से लेकर दवाओं से संबंधित ली जाएगी जानकारी

बक्सर | राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम को गति देने और उसमें सुधार के लिए सरकार ने नई मुहिम शुरू की है। जिसके तहत अब जिले के टीबी मरीजों  का इंटरव्यू लिया जाएगा। इसके लिए सरकार ने पॉपुलेशन काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) की दो सदस्यीय टीम भेजी है। जो मरीजाें का इंटरव्यू करने के दौरान उनके दिए जवाबों को भारत सरकार द्वारा दिए गए  एप पर प्रविष्ट करेंगे। इसके लिए जिले के सरकारी व प्राइवेंट संस्थानों के स्तर से इलाजरत टीबी मरीजों के घर-घर जाकर इंटरव्यू करना है। साथ ही, इंटरव्यू के लिए 200 मरीजों को चिह्नित किया गया है। जिनके घर जाकर टीबी सेंटर, डब्ल्यूएचओ और पॉपुलेशन काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) के लोग जाएंगे और उनसे मुखतिब होंगे। इस क्रम में सिविल सर्जन डॉ. जितेंद्र नाथ के निर्देश पर प्रखंडवार माइक्रो प्लान तैयार किया गया है । जिसके तहत इस अभियान को पूरा किया जाएगा।
जिले के बाहर रहने वाले मरीजों का नहीं होगा इंटरव्यू :
जिला टीबी सेंटर के एसटीएलएस कुमार गौरव ने बताया कि सिविल सर्जन के निर्देश पर  माइक्रो प्लान  तैयार कर लिया गया है । सोमवार से चौसा प्रखंड से मरीजों का इंटरव्यू लेने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इस क्रम में चिह्नित मरीजों के घर जाकर उनसे मुलाकात की जाएगी। यदि मरीज जिले के बाहर का निवासी है, तो उनका इंटरव्यू नहीं होगा। जिले में इलाजरत टीबी मरीजों का ही इंटरव्यू होना है। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य टीबी के इलाज में सरकार द्वारा दी जाने वाली सभी नि:शुल्क सेवाओं और सुविधाओं की राह में आ रही बाधाओं को चिह्नित किया जाना है। ताकि, लोगों का इलाज और भी सुलभ व सुविधाजनक तरीके से किया जा सके।

विश्व के एक चौथायी टीबी मरीज भारत में :
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डबल्यूएचओ) के एनटीईपी कंसल्टेंट डॉ. कुमार बिज्येंद्र सौरभ ने बताया, 
डब्ल्यूएचओ की 'द ग्लोबल ट्यूबरकुलोसिस रिपोर्ट 2019' के अनुसार भारत में टीबी मरीज दुनिया में सबसे ज्यादा हैं। पूरी विश्व के एक चौथायी टीबी मरीज भारत में हैं। जिनमें एमडीआर और एसडीआर के मरीज की बहुतायता है। उन्होंने  बताया कि ड्रग रेसिस्टेंट टीबी, टीबी की वह खतरनाक किस्म है, जिस पर दो सबसे ताकतवर एंटी  टीबी ड्रग्स भी नाकाम साबित हो जाते हैं। दुनिया के जानेमाने स्वास्थ्य विशेषज्ञ इसे एक 'जिंदा बम' और 'भयंकर स्वास्थ्य संकट' का नाम दे चुके हैं। इससे भी अधिक टीबी एक ऐसी बीमारी है जो आपके जीवन के सबसे उत्पाादक काल यानि 15-59 आयु वर्ग के लोगों को अपनी चपेट में लेती है।




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