- जिले की सभी गर्भवती माताओं का हो चार प्रसव पूर्व जांच
- उच्च जोखिम वाली गर्भवतियों की पहचान जरूरी
- एनीमिया मुक्त करने के लिए वितरित की जाएगी गोलियां
बक्सर | राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग मातृ-शिशु मृत्यु दर कम करने के लिए पूरी तरह कटिबद्ध है। इसके लिए गर्भवती माताओं का गुणवत्तापूर्ण प्रसव पूर्व जांच एवं उच्च जोखिम वाली गर्भवती माताओं की पहचान करते हुए उनके उचित प्रसव प्रबंधन उपलब्ध कराया जाना आवश्यक है। वहीं, पोषण अभियान जैसे कार्यक्रम की मदद से पोषण पर पारिवारिक तथा सामाजिक जागरूकता लायी जा रही है। एनएफएचएस (राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण) के आंकड़े इस बात की ओर इशारा करते हैं कि गर्भवती माताओं में एनीमिया का दर बढ़ रहा है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के आंकड़ों के अनुसार बक्सर जिले की 55.1 फीसदी गर्भवती महिलायें एनीमिया से ग्रसित हैं। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण- 4 में यह आंकड़ा 49.2 फीसदी था। जिसको कम करने के लिए विभाग अपने स्तर से पूरी तरह काम कर रहा है। इस क्रम में सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देश के आलोक में गर्भवती माताओं को एनीमिया से बचाने के लिए फोलिक एसिड, कैल्सियम एवं आयरन व फोलिक एसिड की गोलियां वितरित की जा रही हैं।
वितरित की जाएगी फोलिक एसिड, कैल्सियम एवं आयरन की गोलियां :
अपर मुख्स चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. अनिल भट्ट ने बताया, जिले की सभी गर्भवती माताओं की चार प्रसव पूर्व जांच करते हुए उच्च जोखिम वाली गर्भवती माताओं की पहचान की जा रही है। उन्होंने बताया गर्भवती माताओं के प्रथम त्रैमास प्रसव पूर्व जांच के दौरान 90 फोलिक एसिड की गोलियां एवं द्वितीय त्रैमास में 360 कैल्सियम एवं 180 आयरन व फोलिक एसिड की गोलियां एक साथ उपलब्ध करायी जाएंगी। साथ ही, एएनएम व आशा के द्वारा गर्भवती माताओं द्वारा उक्त सभी गोलियों का सेवन सुनिश्चित किये जाने के लिए उनका फॉलोअप भी संबंधित किया जाएगा। धातृ माताओं को भी सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देश के आलोक में 180 आयरन व फोलिक एसिड की गोलियां तथा 360 कैल्सियम की गोलियां एक साथ दी जाएंगी । इन वितरित की गई गोलियों का संधारण एमसीपी कार्ड पर भी किया जाएगा।
कमजोर व बीमार शिशु जन्म का कारण एनीमिया :
गर्भवती माताओं का एनीमिया से ग्रसित हो जाना एक आम समस्या है। इससे बचने के लिए गर्भवती माताओं को चाहिए कि वे नियमित रुप से सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों पर आयोजित प्रसवपूर्व जांच सत्रों में भाग लेकर अपना चारों प्रसवपूर्व जांच अवश्य करायें। इस दौरान चिकित्सकों द्वारा दिये परामर्श अनुरुप फोलिक एसिड, कैल्सियम व आयरन की गोलियों का सेवन जरूर करें। गर्भवती माताओं का एनीमिया ग्रस्त होना उनके साथ-साथ उनके गर्भस्थ शिशुओं को भी प्रभावित करता है। यदि कोई गर्भवती महिला एनीमिया से प्रभावित हो जाती है, तो खून की कमी के कारण बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास ठीक से नहीं हो पाता । जिसके कारण प्रसव के बाद बच्चे कमजोर व बीमार होते हैं।
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