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कालाजार प्रभावित इलाकों के घरों में छह फीट तक दवाओं का छिड़काव जरूरी : डॉ. शैलेंद्र- doctor-shailendra




- जिले में आईआरएस का दूसरा चरण शुरू, प्रभावित गांवों के हर घर में होगा दवाओं का छिड़काव
- छिड़काव की निगरानी के लिए गठित की गई टीम, पूर्व के मरीजों का होगा फॉलोअप

बक्सर | राज्य में कालाजार उन्मूलन को लेकर सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग काफी गंभीर है। इसे सुनिश्चित करने को लेकर हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। जिसके तहत बक्सर समेत राज्य के 32 जिलों में एक साथ इनडोर रेसिडेंशियल स्प्रे (आईआरएस) शुरू किया गया। इस क्रम में पांच सितंबर से जिले के कालाजार प्रभावित गांवों में सिंथेटिक पैराथायराइड (एसपी) पाउडर का छिड़काव शुरू किया गया है । सबसे पहले सदर प्रखंड के पड़री गांव में यह अभियान शुरू किया गया। जिसके बाद जिले के अन्य चिह्नित गांवों में छिड़काव टीम द्वारा घर-घर जाकर एसपी पाउडर से छिड़काव किया जाएगा। अभियान की सफलता को लेकर स्वास्थ्य विभाग द्वारा सारी तैयारियां पूरी कर रखी है। वहीं, गांवों में छिड़काव के दौरान किसी प्रकार की कोताही न बरती जाए, इसके लिए निगरानी टीम का गठन किया गया हे। जो घरों में हो रहे छिड़काव की निगरानी के साथ पूर्व के मरीजों का फॉलोअप भी करेंगे। 

तय समय में पूरा किया जाएगा छिड़काव का कार्य :
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. शैलेंद्र कुमार ने कहा, आईआरएस के लिए संबंधित प्रखंडों से माइक्रोप्लान ले लिया गया था। प्रखंडों के साथ-साथ जिलास्तर पर भी एक माइक्रोप्लान तैयार किया गया। जिसके एक्शन प्लान के अनुसार तय मियाद में छिड़काव का कार्य पूरा किया जाएगा। उन्होंने बताया, कालाजार की वाहक बालू मक्खी को खत्म करने तथा कालाजार के प्रसार को कम करने के लिए आईआरएस किया जाता है। यह छिड़काव घर के अंदर दीवारों पर छह फीट की ऊंचाई तक होता है। कालाजार बीमारी परजीवी बालू मक्खी के जरिये फैलती है जो कम रोशनी वाली और नम जगहों जैसे कि मिट्टी की दीवारों की दरारों, चूहे के बिलों तथा नम मिट्टी में रहती है। इसलिए जिन पक्के या कच्चे घरों की दीवारों पर दरार हैं, उन्हें भराकर ही दवाओं का छिड़काव कराया जा रहा है। ताकि, बालू मक्खी को छिपने की जगह न मिल सके।

कालाजार से बचाव के लिए दी जा रही जानकारी :
जिला वेक्टर जनित रोग सलाहकार राजीव कुमार ने बताया, छिड़काव के दौरान एक भी घर छूटे नहीं, इस बात का विशेष ख्याल रखा जा रहा है। जिसको लेकर छिड़काव टीम को भी आवश्यक और जरूरी निर्देश दिए जा रहे हैं। इसके अलावा छिड़काव अभियान के दौरान सामुदायिक स्तर पर लोगों को कालाजार से बचाव के लिए आवश्यक जानकारी भी दी जा रही है। पड़री में आईआरएस की शुरुआत के बाद ग्रामीणों को कालाजार के कारण, लक्षण, बचाव एवं इसके उपचार की विस्तृत जानकारी दी गई। ताकि, भविष्य में किसी में यह लक्षण दिखे, तो वे आशा कार्यकर्ता या पीएचसी के कर्मियों को इसकी सूचना दें। साथ ही, छिड़काव के दौरान किन-किन बातों का ख्याल रखना चाहिए, इसकी भी जानकारी दी गई।

कालाजार के लक्षण :
- रूक-रूक कर या तेजी के साथ बुखार आना
- वजन में लगातार कमी होना
- दुर्बलता
- मक्खी के काटे हुए जगह पर घाव होना

छिड़काव के दौरान इन बातों का रखें ख्याल :
- छिड़काव के पूर्व घर की अन्दरूनी दीवार की छेद व दरार बंद कर दें
- सभी कमरों, रसोई व गोहाल के अंदरूनी दीवारों पर छह फीट तक छिड़काव अवश्य कराएं
- छिड़काव के पूर्व भोजन सामग्री, बर्तन, कपड़े आदि को घर से बाहर रख दें
- ढाई से तीन माह तक दीवारों पर लिपाई-पोताई न करें, ताकि कीटनाशक (एसपी) का असर बना रहे


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