बक्सर । जिले के विभिन्न प्रखंडों में बगैर रजिस्ट्रेशन व मानकों की अनदेखी कर चलने वाले नर्सिंग होम व निजी अस्पतालों के खिलाफ जिला प्रशासन ने सोमवार को अभियान चलाया। डीएम अंशुल अग्रवाल के निर्देश पर गठित टीम ने जांच की। जांच के दौरान 80 प्रतिशत नर्सिंग होम व अस्पताल के पास रजिस्ट्रेशन नहीं मिला। ग्रामीण इलाके में सबकुछ भगवान भरोसे चलते दिखा।
जिले में एक साथ अभियान चलते ही नर्सिंग होम के संचालकों के बीच खलबली मच गई। जिले के वरीय अधिकारियों को इसका जिम्मा सौंपा गया था। बक्सर में एसडीओ धीरेंद्र मिश्रा व डुमरांव में एसडीओ राकेश कुमार और अनुमंडल अस्पताल के डीएस डा. गिरीश सिंह के नेतृत्व में जांच अभियान चलाया गया। डुमरांव की सूची में नौ नर्सिंग होम शामिल था। बीडीओ संदीप कुमार पाडेय,सीओ शमन प्रकाश, पीएचसी प्रभारी डा. आर. वी प्रसाद ने डुमरांव शहर के नर्सिंग होम की जांच की। डीएस ने बताया कि छह नर्सिंग होम को सील कर दिया गया है। वहीं डुमरांव के कोरानसराय में नप के ईओ मनीष कुमार ने कोरानसराय में तीन नर्सिंग होम की जांच की। जहां सबकुछ बदहाल स्थिति में मिला। किसी के पास रजिस्ट्रेशन नहीं था। इस संबंध में रिपोर्ट डीएम को भेजा गया है।
जांच अधिकारी भी अस्पतालों की व्यवस्था को देखकर हैरान थे। इस दौरान बक्सर में दो, डुमरांव में छह नर्सिंग होम सहित कुल 23 निजी अस्पतालों को सील किया गया। शेष के खिलाफ कार्रवाई के लिए जांच रिपोर्ट डीएम को भेजा जा रहा है। जिनके पास रजिस्ट्रेशन नहीं मिला है। उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाएगी। जिले के ग्रामीण इलाके में डॉक्टर का बोर्ड लगाकर धड़ल्ले से निजी अस्पतालों व नर्सिंग होम का संचालन हो रहा है। ऐसे अस्पतालों के सामने बोर्ड किसी डॉक्टर का लगा है। लेकिन ऑपरेशन से लेकर मरीजों का इलाज झोला छाप डॉक्टर करते है। जानकार सूत्र बताते है कि ऐसे अस्पतालों में दलालों के माध्यम से मरीज पहुंचाएं जाते है। जिसमें आर्थिक रुप से कमजोर परिवार के मरीजों की संख्या अधिक होती है। गलत इलाज से यदि मरीज की मौत होती है, तो दलाल ईश्वर की नियति बताकर रोते बिलखते मरीजों के परिवार को मैनेज कर वापस घर भेज देते है। अक्सर ऐसी घटनाएं होती रहती है। लेकिन, एक-दो को छोड़ सभी मामलों को सुलझा लिया जाता है। आठ प्रखंडों में 55 नर्सिंग होम की हुई जांच वैसे जिले के कुल आठ प्रखंडों में 55 अस्पतालों व नर्सिंग होम की जांच कराई गई। इस जांच में कुल 38 जांच अधिकारी और आठ पर्यवेक्षण पदाधिकारी को लगाया गया था। इटाढ़ी में 9, राजपुर में 6, चौसा में 6, बक्सर में 8, डुमरांव में 9, ब्रह्मपुर में 5, चौगाई में 6 और सिमरी में 6 नर्सिंग होम की जांच की गई। बक्सर में पर्यवेक्षण अधिकारी के रुप में एसडीओ धीरेंद्र कुमार मिश्रा, अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डा. शैलेन्द्र कुमार, चौसा में बक्सर के अनुमंडलीय लोक शिकायत पदाधिकारी विद्यानाथ पासवान, डा. शालिग्राम पांडेय और सिमरी, चौगाई व ब्रह्मपुर में अपरसमाहर्ता गिरिजेश कुमार व डा. संजय कुमार को लगाया गया था। जांच अधिकारियों ने बताया कि अधिकांश नर्सिंग होम व निजी अस्पतालों की व्यवस्था बदहाल दिखी। वहीं डुमरांव प्रखंड के कृष्णाब्रह्म और नावानगर के सोनवर्षा के इलाके में गलत ढंग से निजी नर्सिंग होम धड़ल्ले से चल रहे है। लेकिन जांच की सूची में यह इलाका वंचित रह गया है।
इटाढ़ी में आधा दर्जन नर्सिंग होम किये गये सीलः
इटाढ़ी में लगभग आधा सर्जन चल रहे अवैध अस्पतालों पर एक साथ छापेमारी की गई। छापेमारी में काफी गड़बड़ियां पाई गई। किसी भी अस्पतालों का पंजीकरण नहीं कराया गया था। वही झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा इलाज के साथ ही साथ ऑपरेशन किया जा रहा था। जिसे लेकर प्रशासन ने लाइफ हेल्थ केयर अस्पताल, वीरभद्र संकट मोचन अस्पताल, सोनपा अस्पताल सहित कई अस्पतालों को अधिकारियों एवं पुलिस पदाधिकारी के समक्ष सील किया गया। पुलिस ने अवैध अस्पतालों के संचालकों को थाने ले जाकर उनसे पूछताछ कर रही है। अभियान में बीडीओ किरण कुमारी, सीईओ संतोष कुमार प्रीतम, थानाध्यक्ष सोनू कुमार, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ श्रीनिवास उपाध्याय सहित अन्य पदाधिकारी मौजूद थे।
क्या कहते हैं सीएसः
सिविल सर्जन डॉ अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि अवैध रूप से चल रहे जिले के कुल 23 नर्सिंग होम को सील किया गया है।
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