(बक्सर ऑनलाइन न्यूज़):- पूज्य श्री खाकी बाबा सरकार के पुण्य स्मृति में आयोजित होने वाले 53 वें श्री सीताराम विवाह महोत्सव के चौथे दिन नित्य की भांति आज प्रातः काल से ही आश्रम में विभिन्न धार्मिक आयोजन प्रारंभ हो गए।आश्रम के परिकरो द्वारा सर्वप्रथम श्री रामचरितमानस जी का नवाह पारायण पाठ किया गया।तत्पश्चात दामोह की संकीर्तन मण्डली के द्वारा नव दिवसीय अखण्ड अष्टयाम हरिकीर्तन आज चौथे दिन भी जारी रहा।
रासलीला
वृंदावन के श्रीराम शर्मा एवँ श्री कुंजबिहारी शर्मा जी के निर्देशन में रासलीला में नरसी भगत की लीला का मंचन किया गया।नरसी भगत की लीला का जीवंत मंचन देख हजारो भक्त-श्रद्धालु भावविभोर हो उठे।
लीला में दिखाया गया कि किस तरह से भगवान अपने भक्त की लाज बचाते हैं। नरसी जी हर समय भगवान का भजन करते रहते हैं। उनकी बेटी की ससुराल से भारी भरकम दहेज मंगवाने की बात उनके पास भेजी जाती है। नरसी जी गरीबी से परेशान हैं। उनकी समझ में नहीं आ रहा कि वे अपनी पुत्री की ससुराल में भेजी गई लिस्ट के अनुसार किस तरह से दहेज लेकर जाएं। उन्हें पता चलता है कि नगर में एक सेठ आया है और वह उन्हें कर्जा दे सकता है। वे कर्जा मांगने सेठ के पास जाते हैं। वहां भगवान श्री कृष्ण सावरिया सेठ के नाम से उन्हें बैठे मिलते हैं। सेठ रूपी श्री कृष्ण जी उन्हें हुंडी (रुपयों की पर्ची) लिखकर देते हैं ओर उनसे कहते हैं कि वे अपनी पुत्री की ससुराल में जाकर वहां के मुनीम से जो भी सामान चाहे वे ले लें। नरसी भगत अपने साथ संतों को लेकर अपनी पुत्री की ससुराल पहुंच जाते हैं। उनके आने की सूचना पाकर पुत्री दौड़ती हुई जाती है ओर अपने पिता को वापस जाने के लिए कहती है क्योंकि उसे पता है कि उसके पिता के पास देने को एक रुपया तक नहीं है। जब भात दिया जाता है तो जो वस्तु ससुराल वालों ने मंगवाई थी प्रत्येक वस्तु भगवान श्री कृष्ण दोगुनी कर देते जाते हैं। नरसी भगवान कृष्ण को पहचान कर उनके चरण पकड़ लेते है।
*श्रीमद्भागवत कथा - प्रवचन*
महोत्सव के दौरान चल रहे नौ दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिवस पर कथा व्यास श्री इंद्रेश जी महाराज ने आज नवधा भक्ति के अंतर्गत भक्ति के तृतीय स्वरूप स्मरण भक्ति की भावपूर्ण व्याख्या कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।इससे पूर्व श्री महाराज जी ने भक्ति के दो स्वरूपों श्रवण भक्ति एवं कीर्तन भक्ति की मधुर व्याख्या की थी।श्री महाराज जी ने स्मरण भक्ति के महत्व की व्याख्या करते हुए कहां की श्रीहरि का स्मरण करने मात्र से ही सारी विपत्तियां नष्ट हो जाती है और जीव का कल्याण हो जाता है। महाराज जी ने कहा कि शास्त्र आज्ञा करते हैं किसी भी विषय को पहले सुनो उसके बाद उसको पढ़ो और फिर विचार करो तभी विषय हृद्यांगित होता है ठीक वैसे ही ठाकुर जी की कथा पहले श्रवण करें तत्पश्चात उसका गायन और फिर भक्ति के तीसरे स्वरूप के भाव से सुनी गई भक्ति कथा का स्मरण करें।उन्होंने कहा की गीता का सार ही स्मरण भक्ति है।
भगवान श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र में अर्जुन के विषाद के हरण के लिए पहले 10 अध्याय सुनाएं तत्पश्चात श्री ठाकुर जी ने उनसे पूछा कि अर्जुन क्या तुम्हारा मोह नष्ट हुआ। अर्जुन ने उत्तर दिया हे प्रभु हे जगत पालक मेरा मोह चला गया तब ठाकुर जी कहते हैं की, गई हुई वस्तु पुनः वापस आ सकती है इसलिए अब और सुनो और श्री ठाकुर जी अर्जुन को गीता के अंतिम 8 अध्याय सुनाते हैं। और पुनः प्रश्न करते हैं कि अर्जुन तुम्हारा मोह चला गया या नहीं।अर्जुन प्रतिउत्तर करते हैं हे प्रभु मेरा मोह अब नष्ट हो गया।आपने जो सुनाया उन सब की स्मृति मेरे अंदर विद्यमान हो गई है।भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि अब कुछ भी सुनाना शेष नहीं है।हमारे द्वारा सुनाई गई कथा का स्मरण ही तुम्हें युद्ध करने की शक्ति देगी और युद्ध में विजय श्री हासिल कराएगी।आगे श्री महाराज जी ने कहा की गुरुजन जो कहते हैं,संत वैष्णव जो सुनाते हैं उन्हें रटने अथवा याद करने से ज्यादा उसका स्मरण करते रहने मात्र से कल्याण होता है। यही स्मरण भक्ति है।स्मरण भक्ति के आचार्य के रूप में श्री प्रहलाद जी प्रस्थापित है। जिन्होंने अपने ही परिवार के द्वारा उत्पन्न की गई विषम परिस्थितियों के बावजूद हरि नाम का स्मरण नहीं छोड़ा और अपने साथ साथ सब का कल्याण कराया।श्री महाराज जी ने कहा कि कलयुग में स्मरण भक्ति की आचार्या के रूप में श्री मीराबाई प्रस्थापित है उन्होंने कहा नवधा भक्ति अर्थात भक्ति के नौ स्वरूपों में से किसी भी स्वरूप के माध्यम से श्री हरि की कृपा प्राप्त की जा सकती है स्मरण भक्ति भी उन्हीं स्वरूपों में से एक है।भक्ति के ऐसे स्वरूप स्मरण भक्ति को बारंबार प्रणाम है।
रामलीला
रामलीला में आश्रम के परिकरों एवं वृंदावन की लीला मंडली के द्वारा श्री सीता जन्म के प्रसंग का भव्य मंचन किया गया।
आज के भण्डारें में हजारो की संख्या में संत महात्मा एवँ श्रद्धालुओ ने प्रसाद ग्रहण किया।
पुज्य खाकी बाबा की पुण्यतिथि फुलवारी (26 नवं.) के अवसर पर मलुकपीठाधिश्वर श्री राजेन्द्र दास जी महाराज,लक्ष्मण किलाधिश मैथिली रमण शरण जी महाराज,अयोध्या के राजकुमार दास जी महाराज, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ.संजय जायसवाल जी शामिल होंगे।
आज वृन्दावन के वृजबिहारी दास जी,मुरारी दास जी,हनुमत निवास के अयोध्या के वैदेही शरण जी महाराज, सियाराम दास जी महाराज,शिरोमणि दास जी महाराज सहित बड़ी संख्या में सत गण सम्मिलित हुए।
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