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कृमि से भी एनीमिया, गर्भवती गंदे स्थानों पर नंगे पैर नहीं जायें




-एनीमिया के कारणों में मिथ्या व गलत धारणाएं भी हैं शामिल
-पोषण माह में एनीमिया दूर करने के लिए किया जा रहा जागरूक

बक्सर | स्वास्थ्य विभाग, आईसीडीएस तथा अन्य सहयोगी संस्थाओं द्वारा एनीमिया दूर करने के लिए पोषण के प्रति व्यवहार परिवर्तन पर बल दिया गया है। वहीं, पोषण अभियान जैसे कार्यक्रम की मदद से पोषण पर पारिवारिक तथा सामाजिक जागरूकता लायी जा रही है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के आंकड़ों के अनुसार बक्सर जिले की 55.1 फीसदी गर्भवती महिलायें एनीमिया से ग्रसित हैं। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण- 4 में यह आंकड़ा 49.2 फीसदी था। जिसे देख कर यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिला को एनीमिया मुक्त बनाने की चुनौतियां बरकरार हैं । 
एनीमिया बढ़ाने में मिथ्य की भी है भूमिकाः
अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. अनिल भट्ट ने बताया, एनीमिया को बढ़ाने में कई मिथ्य की भी भूमिका है। ऐसी मिथ्याओं से बचना चाहिए.।  उन्होंने बताया एनीमिया होने का एक बड़ा कारण कृमि है। लोगों में यह मिथ्य है कि नंगे पैर चलने से आंखों की रोशनी बढ़ती है लेकिन यह सिर्फ मिथ्य है। नंगे पैर चलने के दौरान हुक वर्म और राउंड वर्म जैसे कृमि शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। यह कृमि रक्त कोशिकाओं को अपना भोजन बनाते हैं। बताया कि विशेषकर गांवों में महिलाएं गौशाला सहित चापाकल , शौचालय व अन्य गंदी जगहों पर नंगे पांव जाती हैं। इससे कृमि पैर के संपर्क में आते और शरीर में प्रवेश कर जाते और यह एनीमिया का कारण बनता है। खानपान संबंधी मिथ्याओं पर चर्चा कर बताया कि अमूमन धारणा यह है कि काजू, किशमिश व दूसरी प्रकार के मेवों में ही सबसे अधिक आयरन होते हैं। जबकि सबसे अधिक आयरन गुड़, चुकंदर, पालक साग और खजूर में होता है। यह कम कीमत पर आसानी से उपलब्ध हो जाता है।
प्रसव संबंधी जोखिम को बढ़ाता है एनीमियाः
आईसीडीएस की तरणी कुमारी ने बताया, परिवार के सदस्यों द्वारा  गर्भवती महिलाओं के बेहतर खानपान का प्रबंधन जरूरी है। पोषण माह के मद्देनजर अच्छे पोषण की अहमियत की जानकारी दी जा रही है। एनीमिया के कारण किशोरियों   तथा महिलाओं का स्वास्थ्य बहुत अधिक प्रभावित होता है। किशोरियों में एनीमिया होना उनके मां बनने की पूरी प्रक्रिया को जोखिम में डाल देता है। एनीमिया के कारण प्रसव के समय अधिक खून बहना तथा इससे होने वाली मौत मातृ मृत्यु दर का एक बड़ा कारण है। हम अपने आसपास वाली ऐसे खाद्य पदार्थ का चयन करें जिसमें आयरन की अधिक मात्रा होती है। ऐसे खाद्य पदार्थ के बारे में जानकारी लें और इसका इस्तेमाल करें। अंकुरित अनाज में भरपूर आयरन होता है। अंकुरित चना तथा मूंग, राजमा, मटर, बींस, मसूर दाल का सेवन काफी लाभदायक है। आयरन अच्छी तरह से शरीर में अवषोशित हो सके इसके लिए नींबू का सेवन जरूर करें। ध्यान रखें कि चाय या कॉफी से शरीर के आयरन में कमी होती है।



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