- एनीमिया की समस्या अस्थायी भी हो सकती या यह लंबे समय तक भी चल सकती है
- बचाव के लिए किशोरियां और गर्भवती महिलाएं भोजन में शामिल करें आयरनयुक्त आहार
बक्सर/आरा | एनीमिया एक ऐसी बीमारी है, जो किसी भी उम्र वर्ग में हो सकती है। विशेषकर किशोरियां और गर्भवती महिलाएं इस बीमारी से ग्रसित होती हैं। किशोरियों में माहवारी के कारण शरीर से खून निकल जाता है, जो अनियमित खानपान के कारण उन्हें एनीमिया की ओर ढकेल देता है। वहीं, गर्भवती महिलाओं के गर्भ बच्चे के कारण उनका हीमोग्लोबिन कम हो जाता है। जिससे उनके एनीमिक होने की संभावना बढ़ जाती है। लेकिन, एनीमिया एनीमिया के शुरुआती दौर में खान-पान पर ध्यान देने से बचाव आसान हो जाता है। एनीमिया की बीमारी शरीर में खून या हीमोग्लोबिन की कमी की वजह से होती है। इससे शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती और व्यक्ति कमजोर होने लगता है। यह बीमारी काफी आम हो चुकी है। महिलाओं को इसका सबसे ज्यादा सामना करना पड़ता है। एनीमिया की समस्या अस्थायी भी हो सकती या यह लंबे समय तक भी चल सकती है। हालांकि, एनीमिया (खून की कमी) से बचाव किया जा सकता है।
खून में ऑक्सीजन की कमी से नई आरबीसी बननी हो जाती है कम :
अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. केएन सिन्हा ने बताया, हमारे खून में लाल रक्त कोशिकाएं होती हैं, जिसे आरबीसी भी कहा जाता है। यह कोशिकाएं शरीर में मौजूद सभी ऊतकों तक ऑक्सीजन ले जाने का काम करती है। जब शरीर में आरबीसी की मात्रा कम होने लगती है तो शरीर में ऑक्सीजन भी घटने लगती है। जिससे नया खून बनना कम हो जाता है। इसी समस्या को खून की कमी या एनीमिया कहा जाता है। खान-पान और जीवनशैली में बदलाव लाकर इस बीमारी से आसानी से हम अपना बचाव कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि एनीमिया के लक्षणों की पहचान कोई भी कर सकता है। चक्कर आना, हाथ व पैर में ठंड लगना, त्वचा का पीला पड़ना, छाती में दर्द होना, सांस लेने में परेशानी होना और दिल की धड़कन का ठीक से काम नहीं करना, थकान, कमजोरी इत्यादि एनीमिया के लक्षण हैं। अगर ऐसा महसूस हो तो तत्काल चिकित्सक से संपर्क करें और उनके परामर्श के अनुसार दिनचर्या और खानपान से इसपर काबू पाया जा सकता है।
नियमित रूप से एएनसी जांच कराएं गर्भवती महिलाएं :
डॉ. सिन्हा ने कहा, गर्भवती महिलाएं और किशोरियों को इससे ज्यादा खतरा रहता है। इसलिए लक्षण का अहसास होने पर जरूरी जांच करवाएं। खासकर गर्भवती महिलाओं को और विशेष ध्यान देने की जरूरत है। उसके गर्भस्थ शिशु के विकास के लिए शरीर में रक्त का निर्माण बहुत ही आवश्यक है। इसमें कमी होने पर एनीमिया की संभावना बढ़ जाती है। इससे बचने के लिए एएनसी जांच करवाएं। उन्होंने बताया कि एनीमिया से बचाव को लेकर आयरनयुक्त आहार लेना जरूरी है। खाना में पालक, सोयाबीन, चुकंदर, अनार व हरी सब्जियों को शामिल करें। इसके अलावा दूध, घी, मांस, मछली भी काफी असरदार है। फल में अनार का सेवन इसमें बहुत ही फायदेमंद रहता है। साथ ही चुकंदर भी बहुत फायदा पहुंचाता है। जो लोग मांस-मछली नहीं खाते हैं, वे लोग फल, दूध और हरी सब्जियों पर विशेष ध्यान दें। साथ ही समय पर भोजन करने की कोशिश करें। ये सबसे ज्यादा जरूरी है और सबसे ज्यादा फायदा पहुंचाता है।
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