- कुष्ठ रोग के शुरुआती लक्षणों की पहचान जरूरी, नहीं तो विकलांग हो सकते हैं मरीज
- सभी पीएचसी पर होती है कुष्ठ रोग की नि:शुल्क जांच और इलाज
(बक्सर ऑनलाइन न्यूज़):- अमूमन दिव्यांगता या विकलांगता को लोग अभिशाप मानते हैं। जिसके मरीज शारीरिक एवं मानसिक रूप से अपने आप को कमजोर मानने लगते हैं। लेकिन लोगों को यह समझना होगा कि दिव्यांगता केवल जन्म के समय नहीं होती है। कई ऐसी बीमारियां भी हैं, जिनको नजरअंदाज करने से मरीज दिव्यांग भी हो सकता है। इन्हीं में से एक बीमारी है कुष्ठ। जिसका सही समय पर इलाज नहीं शुरू किया गया, तो बाद में यह लाइलाज हो जाता है। जिसके बाद मरीज को आजीवन परेशानियों का सामना करना पड़ता है। लोग समय पर कुष्ठ का इलाज करा सकें, इसके लिये सरकार जिले के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर कुष्ठ रोग की जांच के साथ उसका इलाज भी नि:शुल्क प्रदान कराती है। इस क्रम में सदर प्रखंड में भी कुष्ठ रोग का नि:शुल्क इलाज व उपचार किया जा रहा है। हाल ही में कई मरीजों ने सदर पीएचसी में आकर अपनी जांच कराई। जिसके बाद उनमें कुष्ठ की पुष्टि की गई। जिनका ससमय इलाज शुरू किया गया। ताकि, उनमें कुष्ठ के प्रभाव को बढ़ने से रोका जा सके।
जांच का दायरा बढ़ने से मरीज की संख्या में हुई बढ़ोत्तरी :
सदर प्रखंड के पारा मेडिकल वर्कर ने बताया, पहले कुष्ठ रोग की पहचान करने में काफी परेशानी होती थी। लोग डर से न तो जांच कराते थे और न ही उसका इलाज। जिसके कारण कई मामलों में लोग दिव्यांग हो जाते थे। लेकिन, जब से सरकार ने नि:शुल्क इलाज की व्यवस्था की है, उसके बाद लोग स्वयं जांच और इलाज के लिये आगे आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि सदर प्रखंड समेत पूरे जिले में विगत कई सालों से जांच का दायरा बढ़ाया गया है। पीएचसी पर जांच के अलावा एक्टिव केस फाइंडिंग अभियान चलाये जाते हैं। जिसके कारण कुष्ठ के कई नये मरीजों की पुष्टि हुई है। जांच का दायरा बढ़ने से मरीजों की संख्या में भी बढ़ोत्तरी हुई है। जिनका उचित इलाज किया जा रहा है।
कुष्ठ की पहचान बिल्कुल आसानी से हो सकती है :
जिला कुष्ठ निवारण पदाधिकारी डॉ. शालिग्राम पांडेय ने बताया, कुष्ठ का रोग एक कीटाणु से होता है, जिसका नाम माइक्रो बैक्टीरियम लेप्री है। इस बैक्टेरिया द्वारा रोगी की त्वचा पर स्पर्श करते हुए, उन्हें संक्रमण का शिकार बना लिया जाता है। कुष्ठ की पहचान बिल्कुल आसानी से हो सकती है। चमड़े पर किसी तरह का दाग या धब्बा जिसमें दर्द या खुजली नहीं होती हो और यह निशान जन्म से ही नहीं हो तो यह कुष्ठ रोग का प्रारंभिक लक्षण हो सकता है। उन्होंने बताया, कुष्ठ बीमारी का पूर्ण इलाज सम्भव है। समय से इलाज कराने से यह रोग पूरी तरह ठीक हो सकता है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा इसके इलाज के लिए एम.डी.टी. (मल्टी ड्रग थेरेपी) का उपयोग किया जाता है। एम.डी.टी. का पूरा खुराक नियमानुसार सेवन करने के बाद कोई भी कुष्ठ प्रभावित व्यक्ति सामान्य इंसान जैसा हो सकता है।
कुष्ठ रोगियों से भेदभाव नहीं करना चाहिए :
सरकार कुष्ट रोग उन्मूलन के लिए और अधिक सशक्त और कारगर उपाय कर रही है। इस सम्बन्ध में कलेक्टर ने आमजन से अपील की है कि कुष्ठ रोग से ग्रस्त किसी भी व्यक्ति से भेदभाव नहीं करना चाहिए। हम सभी का यह दायित्व है कि कुष्ट रोग के संबंध में फैली भ्रांतियों को समाज मे न पनपने दे। सभी चिकित्सा संस्थानों पर कुष्ठ रोग उपचार के लिए दवा भी निशुल्क उपलब्ध है। शरीर पर बदरंग सुन्न चकत्ते ये कुष्ठ रोग के लक्षण है। इसकी पहचान होते ही नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र से सम्पर्क करना चाहिए। इलाज में देरी अपंगता भी हो सकती है। - डॉ. अनिल भट्ट, एसीएमओ, बक्सर
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