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शिक्षा की कमी के कारण लोगों में उत्पन्न होती हैं भ्रांतियां, जिसे दूर करने में बुद्धिजीवियों को निभानी होगी अपनी जिम्मेदारी- muslim-hindu




- मुस्लिम इलाकों में टीकाकरण की गति तेज करने के लिये मस्जिदों में कराई जा रही है माइकिंग
- सभी मर्दों को अपने परिवार की बहनों, मां और पत्नी को टीकाकृत कराने की दी जा रही है सलाह

(बक्सर ऑनलाइन न्यूज):- राज्य सरकार के निर्देश पर दिसंबर माह तक जिले के 18 वर्ष व उससे अधिक उम्र के सभी लाभार्थियों को टीकाकृत करने का निर्णय लिया है। जिसे पूरा करने के लिये जिला स्वास्थ्य समिति कहीं भी चुक नहीं होने देना चाहती। फिलवक्त जिले में डोर-टू-डोर जाकर लोगों को टीकाकृत करने का अभियान चला रही है। लेकिन, अभी भी कई इलाकों में लोगों को टीका लेने के लिये प्रेरित करना स्वास्थ्य कर्मियों के लिये टेढ़ी खीर साबित हो रही है। लेकिन, इस समस्या से निपटने के लिये पहले हमें इसके मूल कारण को जानना होगा। जिसके कारण लोग टीका लेने में आनाकानी कर रहे हैं, तभी हम इस समस्या का निदान कर सकेंगे। हालांकि, जिले में शुरू हुये हर घर दस्तक अभियान के तहत ऐसे ही लोगों को चिन्हित कर उनकी भ्रांतियों को दूर करते हुये टीकाकरण अभियान को गति दी जा रही है। जिसके परिणाम भी अच्छे दिख रहे हैं।
पिछड़े इलाकों में जागरूकता फैलाने के लिये आगे आये बुद्धिजीवी :
सदर प्रखंड के बीसीएम प्रिंस कुमार सिंह ने बताया, शहरी इलाकों में टीकाकरण की रफ्तार तो ठीक है। लेकिन, ग्रामीण इलाकों व सुदूर इलाकों में लोगों के बीच अभी भी कहीं कहीं नकारात्मक सोच टीकाकरण की राह में बाधा है। ऐसा इसलिये है कि उन इलाकों में शिक्षा की कमी है। जिसके कारण लोग टीका लेने से अभी कतराते हैं। यदि हम मुस्लिम समुदाय की बात करें, तो यहां भी यही हाल है। जो शिक्षित है और जिन्हें कोरोना वायरस और वैक्सीन की जानकारी है, वो तो आसानी से टीका ले लेते हैं। लेकिन, जिन परिवारों में शिक्षा की कमी है, वहां पर लोगों को समझाना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। इसलिये, पिछड़े इलाकों में टीकाकरण अभियान को गति देने में बुद्धिजीवियों को आगे आगर स्वास्थ्य समिति का सहयोग करना चाहिये। बुद्धिजीवी अपने इलाकों के अशिक्षित लोगों का ज्ञानवर्द्धन करते हुये टीका लेने के लिये प्रेरित कर सकते हैं।
मौलाना और इमामों को भी किया जा रहा है शामिल :
यूनिसेफ की एसएमसी शगुफ्ता जमील ने बताया, लोगों को मोबलाइज करने में यूनिसेफ की ओर से कोई भी कसर नहीं छोड़ी जाती। स्वास्थ्य कर्मियों और फ्रंटलाइन वर्कर्स की ओर से सूचना मिलने पर वहां जाकर लोगों को मोबलाइज किया जाता है। इसके लिये पहले स्थानीय जनप्रतिनिधियों की मदद लोगों को एकजुट किया जाता है। जिसके बाद उन्हें धार्मिक, वैज्ञानिक और सामुदायिक पहलुओं के माध्यम से जानकारी देकर टीका लेने के लिये प्रेरित किया जाता है। उन्होंने बताया, मुस्लिम इलाकों में लोगों को जागरूक करने के लिये अभियान में मौलाना और इमामों को भी शामिल किया जा रहा है। वो मस्जिदों से माइकिंग के माध्यम से लोगों को टीका लेने के लिये प्रेरित करते हैं। माइकिंग के माध्यम से इलाकों के सभी मर्दों को अपनी अपनी बहनों, मां और पत्नी को टीकाकृत कराने की सलाह दी जा रही है। ताकि, उनको भी संक्रमण के संभावित प्रभाव से बचाया जा सके।


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