बक्सर। जिले के बनारपुर स्थित नवनिर्मित बाल सुधार सह पर्यवेक्षण गृह की चाहरदीवारी मंगलवार को कर्मनाशा नदी के पानी के दबाव में भरभराकर ढह गई। सौभाग्य रहा कि घटना के समय आसपास कोई मौजूद नहीं था, जिससे कोई जनहानि नहीं हुई। हालांकि इस हादसे ने वर्षों से उपेक्षित इस सरकारी भवन की स्थिति और प्रशासनिक लापरवाही को उजागर कर दिया है।
जानकारी के अनुसार इस भवन का निर्माण 2016 में शुरू हुआ था और 2018 में इसे पूरा कर उद्घाटन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया था। लेकिन उद्घाटन के सात वर्षों बाद भी यह परिसर किसी उपयोग में नहीं लाया गया। तकनीकी कारणों, सुरक्षा संबंधी सवालों और मुख्यालय से दूरी जैसे बहानों के चलते इसे कभी क्रियाशील घोषित नहीं किया गया।
सूत्रों की मानें तो निरीक्षण के दौरान जिला न्यायिक पदाधिकारी ने भवन की स्थिति को अनुपयुक्त मानते हुए इसे संचालन के लिए अस्वीकार कर दिया था। इसके बाद से यह भवन महज एक खंडहर बनकर रह गया है। चारदीवारी की एक दीवार काफी समय से झुकी हुई थी, लेकिन किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। जब कर्मनाशा में बाढ़ आई और जलस्तर बढ़ा, तो कमजोर दीवार पानी के दबाव में ढह गई।
स्थानीय लोगों ने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि जब यह भवन उपयोग में नहीं था तो इसकी समय-समय पर मरम्मत और देखरेख क्यों नहीं कराई गई? इससे न केवल लाखों की सरकारी राशि व्यर्थ चली गई, बल्कि अब अन्य संरचनाएं भी खतरे में हैं।
ग्रामीणों की मांग है कि या तो इस भवन को मरम्मत कर जल्द उपयोग में लाया जाए, या फिर इसे किसी अन्य सार्वजनिक कार्य के लिए उपयोग किया जाए, ताकि करोड़ों की लागत से बनी संरचना यूं ही बर्बाद न हो।
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