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डोली पर माता रानी के आगमन से शारदीय नवरात्र का हुआ शुभारंभ, मुर्गे पर करेंगी प्रस्थान,मां दुर्गे के आगमन व प्रस्थान दोनों सवारी अमंगलकारी- buxar-sharadiya




बक्सर । कलश स्थापना के साथ ही आज से शारदीय नवरात्र की शुभारंभ हो गई। इसका शुभ समापन विजयादशमी यानी दशहरा के रोज 12 अक्टूबर को होगा। नवरात्र में इस साल माता रानी डोली पर सवार होकर आई है और मुर्गे पर मां का प्रस्थान होगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां के दोनों सवारी अमंगलकारी बताया जाता हैं। पंडितों और आचार्यों के अनुसार देवी मां के डोली पर सवार होकर आना शुभ नहीं माना गया हैं। डोली की सवारी से देश में आर्थिक मंदी होगी और महामारी बढ़ने के संकेत भी हैं। वहीं मुर्गे पर प्रस्थान करना भी अशुभ माना गया हैं। ऐसे में लोगों के बीच आपसी कलह बढ़ेगा। आचार्यों ने बताया कि हिंदू धर्म में नवरात्रि पर्व देवी पूजा और शक्ति आराधना को समर्पित है। नवरात्रि से एक दिन पहले मां दुर्गा का धरती पर आने के लिए आह्वान किया जाता हैं। जिसे महालया से भी जानते हैं। यह दो अक्टूबर के दिन होता है। भक्तों की पुकार पर माता रानी दस दिनों के लिए धरती लोक पर मनुष्यों के बीच रहती हैं। कलश स्थापना से विधिवत नवरात्रि की शुरुआत होती हैं। लोगों की आस्था हैं कि मां दुर्गा के नवम रूपों की सच्चे मन से पूजा-अर्चना करने से जीवन के सब सुख व संकट दूर हो जाते हैं और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती हैं। नवरात्रि को लेकर घर की गृहणियां कलश स्थापना के लिए घरों की साफ-सफाई शुरू कर दी हैं। 

सर्वार्थ सिद्धि और रवि योग में खरीदारी फलदायी:

आचार्य पं. विंध्याचल ओझा ने बताया कि पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्र में पांच से आठ अक्टूबर तक सर्वार्थ सिद्धि और रवि योग बने रहे हैं। इसके बाद 11 व 12 अक्टूबर को यह दोनों योग बन रहे हैं। धार्मिक मान्यता है कि शुभ योग में माता रानी के पूजा-अर्चना और बाजारों में सोने-चांदी, कपड़े, श्रृंगार प्रसाधन आदि की खरीदारी करना फलदायी साबित होगा। नौ दिवसीय पूजनोत्सव के क्रम में पंचमी तिथि और अष्ठमी तथा नवमी तिथि वर्धिक जरूर हैं। लेकिन, पूरे नौ दिन की नवरात्रि ही इस वर्ष होगी। जबकि दशवे दिन विजयादशमी मनाया जायेगा। दुर्गा नवमी के दिन माता के नौंवे स्वरूप मां महागौरी की पूजा और कन्या पूजन होगा।




शुभ मुहूर्त में होगा कलश स्थापना:

आचार्य ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना करने के साथ जौ बोए जाते है। इस साल कलश स्थापना तीन अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 19 मिनट से लेकर 7 बजकर 23 मिनट पर हुआ। इसके साथ ही अभिजीत मुहूर्त 11 बजकर 52 मिनट से लेकर 12 बजकर 40 मिनट तक रहेगा। इस मुहूर्त में कलश स्थापना शुभ माना गया हैं। इस वर्ष कलश स्थापना में चित्रा नक्षत्र एवं वैधृति योग का दुष्प्रभाव नहीं रहेगा। 

 शारदीय नवरात्र की पूजन तिथि:

03 अक्टूबर 2024- मां शैलपुत्री की पूजा
04 अक्टूबर 2024- मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
05 अक्टूबर 2024- मां चंद्रघंटा की पूजा
06 अक्टूबर 2024- मां कूष्मांडा की पूजा
07 अक्टूबर 2024- मां स्कंदमाता की पूजा
08 अक्टूबर 2024- मां कात्यायनी की पूजा
09 अक्टूबर 2024- मां कालरात्रि की पूजा
10 अक्टूबर 2024- मां महागौरी की पूजा
11 अक्टूबर 2024- मां सिद्धिदात्री की पूजा
12 अक्टूबर 2024- विजयादशमी (दशहरा)






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