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एसएनसीयू में कार्यरत विदुषी लता व कंचन मां से बढ़कर निभाती है दायित्व- mother



- माता-पिता के चेहरे पर खुशी देख खुद को गौरवान्वित होती हैं विदुषी लता व कंचन


चिकित्सकीय सहायता प्रदान करने में जितना महत्व एक मुख्य चिकित्सक का होता  उतना ही स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत नर्स, एएनएम व जीएनएम आदि की भूमिका भी होती है। उनके अथक प्रयास से ही अस्पताल में भर्ती मरीज जल्द स्वस्थ्य  होकर अपने घर लौटते  क्योंकि अस्पताल में भर्ती होने के बाद डॉक्टर के उपचार के बाद नर्स, एएनएम और जीएनएम ही इनकी पूर्ण रूप से देखभाल करती हैं। वहीं  एसएनसीयू की बात करें तो नर्स एसएनसीयू में भर्ती नवजातों के लिए एक मां से भी ज्यादा दायित्व निभाती हैं।  नाजुक हालत में जब नवजात एसएनसीयू में भर्ती होते हैं तो मुख्य चिकित्सक के बाद सारी जिम्मेवारी एक नर्स की हो जाती  और वह नर्स नवजातों  के लिए मां की भूमिका निभाती हैं। सासाराम के सदर अस्पताल स्थित एसएनसीयू में वर्ष 2014 से ही कार्यरत जीएनएम कुमारी बिदुषी लता एवं एएनएम कंचन कुमारी अपने कर्तव्यों का निर्वाह करते हुए एसएनसीयू में नवजात शिशुओं की बेहतर देखभाल करते हुए उन्हें स्वस्थ्य बनाने का प्रयास कर रही हैं। 

पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ अपने कर्तव्यों को करती हैं पूरा : एसएनसीयू में कार्यरत कुमारी विदुषी लता ने बताया कि वह वर्ष 2014 से इस एसएनसीयू में काम कर रही और गंभीर हालत में एसएनसीयू में भर्ती बच्चों की देखभाल पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ करती हैं। उन्होंने बताया कि यहां पर अधिकांश गरीब तबके के लोग अपने बच्चों को भर्ती करने आते हैं। एक मां के लिए उसका बच्चा कितना मायने रखता यह हमें बखूबी पता है। उन्होंने बताया कि कभी-कभी कुछ नवजात इस हालत में आते हैं कि  उसकी जिंदगी के बारे में कहना बड़ा कठिन होता  और उम्मीद खो चुके माता पिता एसएनसीयू में एक उम्मीद की किरण लेकर आते हैं । मुख्य चिकित्सकों का  इलाज और हम लोगों द्वारा 24 घंटे निगरानी की वजह से बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ होकर यहां से जाता है।  बच्चे के माता पिता के चेहरे पर मुस्कान देख कर अपने कर्तव्यों के प्रति हम लोग खुद गौरवान्वित महसूस करते हैं।

कोरोना काल ने दिया नया अनुभव : सदर अस्पताल सासाराम के एसएनसीयू में ही कार्यरत एएनएम कंचन कुमारी भी नवजात शिशुओं के माता पिता के चेहरे पर मुस्कान ला कर खुद को गौरवान्वित महसूस करती हैं। उन्होंने बताया कि जब एक मां रोते हुए अपने नवजात को लेकर आती और यहां से खुशी खुशी जब अपने बच्चे को लेकर जाती तो उस समय उन्हें जो खुशी मिलती है, उसे व्यक्त नहीं  किया जा सकता। उन्होंने बताया कि कोरोना काल में  नवजातों की जिंदगी बचाने की जो जिम्मेवारी मिली वो जिंदगी का एक बेहतरीन अनुभव रहा। क्योंकि संक्रमणकाल में खुद से ज्यादा बच्चों को संक्रमण से बचाने की जिम्मेवारी थी। उस जिम्मेवारी को बेहतर तरीके से निर्वाह किया गया।



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