- बच्चों के जन्म के तत्काल बाद ही जरूरी होता है स्वस्थ आहार पद्धति का अनुपालन
- खराब पोषण से शारीरिक व मानसिक क्षमता भी प्रभावित होती है
आज हर कोई निरोग व स्वस्थ रहना चाहता है। लेकिन, उसके लिए लोगों को अपनी दिनचर्या के साथ भोजन की थाली में भी बदलाव करना होगा। इस भागदौड़ भरे जीवन में हमें उचित व पर्याप्त पोषक तत्वों की जरूरत होती है। शरीर के आहार संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिये अच्छा पोषण या उचित आहार का सेवन बेहद जरूरी है। इसके साथ ही नियमित शारीरिक गतिविधियों के साथ पर्याप्त, उचित व संतुलित आहार अच्छे स्वास्थ्य का आधार है। खराब पोषण से शरीर की रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता प्रभावित होने के साथ ही हमारी शारीरिक व मानसिक क्षमता भी प्रभावित होती है। लगातार बढ़ते शहरीकरण और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का उपभोग व बदलते जीवन शैली के कारण हमारे आहार संबंधी व्यवहार में भी काफी बदलाव हुआ है। इससे लोगों में पोषण से जुड़ी कई गलत धारणाएं व अंधविश्वास भी बढती जा रही है। जो हमारे संपूर्ण शारीरिक विकास में बाधक बन रहा है।
साबुत अनाज के सेवन का चलन तेजी से घट रहा :
एसीएमओ डॉ. अनिल भट्ट ने बताया, लोगों में अधिक ऊर्जा, वसा, शक्कर व नमक व सोडियम युक्त खाद्य पदार्थ के सेवन का चलन बढ़ रहा है। इसके विपरित पर्याप्त मात्रा में फल, सब्जी व रेशा युक्त साबुत अनाज के सेवन का चलन तेजी से घटता जा रहा है। जो असंतुलित आहार शैली को बढ़ावा दे रहा है। उन्होंने बताया कि उम्र, लिंग,जीवन शैली और शारीरिक गतिविधियां, संस्कृति व स्थानीयता के कारण आहार संबंधी मामलों को लेकर जगह-जगह अंतर पाया जाता है। लेकिन स्वस्थ आहार का गठन करने वाले मूल सिद्धांत नहीं बदलते वो हमेशा एक ही होते हैं। असंतुलित आहार सेवन से आज लोग कई तरह के रोग के शिकार हो रहे हैं।
सबसे बड़ी बाधा अपर्याप्त व असंतुलित आहार :
उचित आहार में विभिन्न खाद्य पदार्थ शामिल होते हैं। जो संपूर्ण स्वास्थ्य,जीवन शक्ति, तंदुरूस्ती व आरोग्यता के लिये जरूरी है। उचित पोषण के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा अपर्याप्त व असंतुलित आहार का सेवन है। जो कम वजन वाले बच्चों के जन्म व कुपोषण की वजह है। स्वस्थ आहार पद्धति जीवन में जल्दी शुरू होनी चाहिये। गर्भावस्था के दौरान पोषण की कमी बाद के जीवन में आहार संबंधी चिरकालिक रोगों की वजह बन सकती है। वहीं स्तनपान बच्चों के समुचित विकास को बढ़ावा देता है।
आहार विविधता एक महत्वपूर्ण पहलू :
डॉ. अनिल भट्ट ने बताया, लोगों को लगता है कि दैनिक आहार से उनके शरीर को पोषण संबंधी सभी जरूरतें पूरी हो रही हैं। लेकिन कुछ मामलों में ऐसा होता नहीं है। आहार विविधता एक महत्वपूर्ण पहलू है। उचित पोषाहार वाले अनाज, फल व सब्जियों की उपलब्धता भी स्थानीय स्तर पर पर्याप्त है। लेकिन जागरूकता की कमी से लोग इसका व्यवहार से परहेज करते हैं। जैसे सहजन, शलजम, चुकंदर, गाजर, पपीता सहित कई प्रकार के साग जो घर के आसपास जंगल के रूप में उभर आते पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं।
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