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प्राकृतिक संसाधानों को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने के लिए जरूरी है परिवार नियोजन : एसीएमओ




- जनसंख्या स्थिरीकरण में पुरुषों की भागीदारी को लेकर चलाया जाएगा विशेष अभियान
- स्थायी नियोजन के साधनों को अपनाने पर पुरुषों और महिलाओं को दी जाती है प्रोत्साहन राशि

बक्सर:- प्रकृति ने हम सभी को सीमित  संसाधन ही उपलब्ध कराया है। ऐसे में अनियंत्रित जनसंख्या बढ़ोत्तरी के कारण उन सभी सीमित  संसाधानों का तेजी से उपभोग हो रहा है, जिसके कारण हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए बहुत कम ही प्राकृतिक संसाधन बच पाएंगे। ऐसे में जनसंख्या स्थिरीकरण ही हमारे पास एकमात्र विकल्प है। जिसके लिए भारत समेत पूरा विश्व अपने अपने देशों में लोगों को जनसंख्या स्थिरीकरण के लिए विभिन्न माध्यमों से जागरूक कर रहा है । इसी क्रम में बक्सर जिला समेत पूरे राज्य में पुरुषों और महिलाओं को जनसंख्या स्थिरीकरण के लिए प्रेरित किया जा रहा है। ताकि, वे परिवार नियोजन के स्थायी साधनों का प्रयोग कर जनसंख्या को नियंत्रित करने में सरकार की मदद करें। इसके लिए महिलाओं को  बंध्याकरण करने और पुरुषों को नसबंदी के लिए प्रेरित किया जा रहा है। जिसमें महिलाओं की  भूमिका तो ठीक है, लेकिन पुरुषों की भागीदारी  चिंताजनक है।
स्थायी साधनों को अपनाने के लिए पुरुषों को होना होगा जागरूक :
अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. अनिल भट्‌ट ने बताया, परिवार नियोजन के स्थायी साधनों को अपनाने की दिशा में महिलाओं ने शुरुआत से ही पुरुषों को पीछे छोड़ा है। हालांकि, इसको लेकर पुरुषों में कई प्रकार की भ्रांतियां हैं, जिसके कारण वो नियोजन के स्थायी साधनों के प्रति उदासीन रहते हैं। पुरुषों में जो सबसे अधिक भ्रांतियां है वो यह है कि नसबंदी के बाद उनकी यौन क्रिया पर उसका प्रभाव पड़ेगा। जो बिल्कुल गलत है। उन्होंने बताया, पुरुष नसबंदी जन्म दर को रोकने का एक स्थायी, प्रभावी और सुविधाजनक उपाय है। यह यौन जीवन को बेहतर बनाता है और सेक्स के दौरान गर्भ ठहरने की चिंता को दूर करता है। नसबंदी कराने के बाद पुरुषों की यौन क्षमता और यौन क्रिया पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
सही तथ्यों को जानें  और नियोजन के स्थायी साधनों को अपनाएं :
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, विश्व स्वास्थ्य संगठन, सेंटर फॉर डिजिज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन जैसे विश्वसनीय सूत्रों के सर्वे और शोध, अफवाहों और मिथकों का पूरी तरह खंडन करते हैं। विभिन्न शोधों से यह साफ हो चुका है कि पुरुष नसबंदी द्वारा- 
- ना ही शारीरिक कमज़ोरी आती है और ना ही पुरुषत्व का क्षय होता है।  
- दम्पति जब भी चाहे इसे अपना सकते हैं (यदि पुरुष के जननांग में कोई संक्रमण ना हो)
- पुरुष ऑपरेशन के आधे घंटे के बाद घऱ जा सकते हैं। 
- रोज के काम काज पर कोई भी प्रभाव नहीं पड़ता है। 
- पुरुष नसबंदी के बाद शरीर में कोई भी बदलाव नहीं होता है। 
- महिलाओं की तुलना में पुरुषों को नसबंदी कराने के लिए दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि को भी ज्यादा रखा गया है। नसबंदी के लिए पुरुष लाभार्थी को 3000 रुपए एवं प्रेरक को प्रति लाभार्थी 300 रुपए दिया जाता है। जबकि महिला नसबंदी के लिए लाभार्थी को 2000 रुपए एवं प्रेरक को प्रति लाभार्थी 300 रुपए दिया जाता है।
शरीर पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता :
'पुरुष नसबंदी पूरी तरह सुरक्षित और आसान प्रक्रिया है। जिसका शरीर पर कोई नकारात्मक प्रभाव भी नहीं पड़ता है। यह प्रक्रिया बिना चीरा एवं टांके के मात्र आधे घंटे से कम समय में की जाती है। प्रक्रिया के दो घंटे बाद लाभार्थी अस्पताल से वापस भी जा सकता और सामान्य रूप से सभी काम कर सकता है। जबकि महिलाओं को बंध्याकरण के बाद सामान्य जीवनशैली में वापस आने के लिए समय लगता है। इसलिए पुरुषों की यह नैतिक ज़िम्मेदारी भी है कि वह आगे बढ़कर नसबंदी को अपनायें।' - डॉ. जितेंद्र नाथ, सिविल सर्जन, बक्सर


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