कुष्ठ रोग सहित 20 से अधिक बीमारियां नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज में हैं शामिल
(बक्सर ऑनलाइन न्यूज़/आरा):- 30 जनवरी को महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर ‘शहीद दिवस’ के रूप में मनाया जाता है. साथ ही आज “वर्ल्ड लेप्रोसी डे” भी है. विश्व कुष्ठ उन्मूलन दिवस का उद्देश्य कुष्ठ रोग से बचाव के लिए लोगों में जागरूकता लाने तथा कुष्ठ रोग पीड़ित लोगों को सामाजिक बहिष्ठकार से बचाने तथा उनके प्रति भेदभाव रोकने के लिए किया जाता है. वर्ष 2022 में यूनाइटेड फॉर डिगनिटी थीम के साथ इस रोग के प्रति लोगों में जागरूकता लायी जा रही है. 30 जनवरी को वर्ल्ड नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज डे के रूप में भी मनाया जाता है. चूंकि कुष्ठ रोग एक नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज यानि उपेक्षित उष्णकंटिबंधीय बीमारियों में शामिल है। इसलिए ऐसे रोग से बचाव के प्रति जानकारी होनी जरूरी है.
20 से अधिक बीमारियों एनटीडी की श्रेणी में:
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा 20 से अधिक प्रकार की बीमारियों को नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज की श्रेणी में रखा गया है. जनजागरूकता के अभाव में इन बीमारियों को नजरअंदाज कर दिया जाता है। वहीं भारत ने इन रोगों के उन्मूलन को लेकर प्रतिबद्धता जाहिर करते हुए वर्ष 2030 तक नेग्लेक्टेड ट्रोपितकल डिजीज को खत्म करने का लक्ष्य रखा है। नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज से जुड़े सभी रोगों को खत्म करने के लिए जनजागरूकता पर बल दिया गया है। एनटीडी रोग की श्रेणी में कुष्ठ रोग के साथ फाइलेरिया, मलेरिया, कालाजार, डेंगू, चिकुनगुनिया, रैबीज, कृमि रोग सहित कई अन्य रोग आते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में इस प्रकार के रोग के मामले अधिक मिलते हैं। साथ ही साफ पीने के पानी का अभाव तथा शौचालय की सुविधा नहीं होने वाली जगहों पर इस प्रकार की बीमारियों का अधिक प्रकोप होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कुष्ठ रोग को “नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिज़ीज़” (एन.टी.डी.) की सूची में शुमार किया हुआ है, क्योंकि यह ग्लोबल हैल्थ एजेंडा में शामिल नहीं है।
इन लक्षणों से करें कुष्ठ रोग की पहचान
कुष्ठरोग एक संक्रामक रोग है जो बैक्टीरिया से होता है. मायकोबैक्टीरियम लेप्रे नामक बैक्ट्रीरिया के संक्रमण से यह रोग होता है. इसका असर मुख्य रूप से त्वचा, तंत्रिका तंत्र तथा आंखों पर होता है. समय से जांच और इलाज से यह रोग पूरी तरह ठीक हो जाता है. इस रोग की पहचान कुछ मुख्य लक्षणों से की जा सकती है. इनमें त्वचा पर लाल, गहरे या हल्के धब्बे उभरना, धब्बे वाले हिस्से का सुन्न होना, त्वचा के प्रभावित हिस्से से बाल झड़ना, हाथ, उंगली या पैर की अंगुलियों का सुन्न होना, आंखों की पलकें झपकाने में कमी आना आदि हैं.
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