• विश्व एड्स दिवस पर निकली गई जागरुकता रैली, सरकारी अस्पतालों में पोस्टर प्रतियोगिता का हुआ आयोजन
• शहरी व ग्रामीण इलाकों के लोगों तक एड्स व उसके निदान की जानकारी की गई साझा
(बक्सर ऑनलाइन न्यूज़):- एड्स के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल एक दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है। साथ ही, एचआईवी संक्रमण की वजह से होने वाली महामारी एड्स के बारे में हर उम्र के लोगों के बीच जानकारी को बढ़ाया जा सके। एड्स आज के आधुनिक समय की सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। अमूमन हर कोई यह जानता और समझता है कि एचआईवी एक प्रकार के जानलेवा इंफेक्शन से होने वाली गंभीर बीमारी है। इसमें जानलेवा इंफेक्शन व्यक्ति के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर हमला करता है। जिसकी वजह से शरीर सामान्य बीमारियों से लड़ने में सक्षम नहीं हो पाता। लेकिन, उसके बावजूद आज भी लोग इस बड़ी समस्या को लेकर खुल कर बात नहीं कर पाते। लोगों के मन से इसी संशय को दूर करने के लिए जिला स्वास्थ्य समिति के निर्देश पर बुधवार को जागरुकता रैली निकालने के साथ साथ सरकारी अस्पतालों में पोस्टर प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। जिनके माध्यम से शहरी व ग्रामीण इलाकों के लोगों तक एड्स व उसके निदान की जानकारी साझा की गई।
मरीजों के लिए संक्रमण के होते हैं अलग अलग स्टेज :
सदर पीएचसी के एमओआईसी डॉ. सुधीर कुमार ने बताया, एचआईवी मरीजों के लिए संक्रमण के अलग अलग स्टेज होने के कारण, एड्स के लक्षण भी अलग अलग होते हैं। हालांकि, एचआईवी पीड़ित पहले कुछ महीनों में सबसे अधिक संक्रामक होते हैं, लेकिन फिर भी कई लोगों को यह एहसास नहीं होता है कि वे बाद के स्टेज तक संक्रमित हैं। शुरुआती स्टेज के दौरान, लोगों में कोई लक्षण नहीं दिखते या इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी जैसे कि बुखार, सिरदर्द, चकत्ते या गले में खराश नजर आता है। शरीर में गिल्टियों का बढ़ जाना व जीभ पर भी काफी जख्म आदि हो सकते हैं। जब इस तरह के लक्षण दिखे तो तुरंत अपनी जांच करवा लें।
एचआईवी के शुरुआती लक्ष्ण नहीं दिखते :
डॉ. सुधीर कुमार ने बताया, प्रारंभिक एचआईवी लक्षण आमतौर पर संचरण के एक से दो महीने के भीतर उत्पन्न होते हैं। हालांकि, वे एक्सपोजर के दो सप्ताह बाद ही आ सकते हैं। इसके अलावा, कुछ लोगों को एचआईवी होने के बाद शुरुआती लक्षणों का अनुभव नहीं हो सकता है। यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि ये प्रारंभिक एचआईवी लक्षण सामान्य बीमारियों और स्वास्थ्य स्थितियों से भी जुड़े हैं। एचआईवी स्थिति के बारे में सुनिश्चित होने के लिए, परीक्षण के विकल्पों के बारे में चिकित्सकों से बात करने पर विचार करें।
टेस्ट से ही एचआईवी संक्रमण की पहचान :
किसी व्यक्ति को एचआईवी है या नहीं, यह जानने का एकमात्र तरीका टेस्ट है। एचआईवी टेस्ट करवाना ही यह निर्धारित करने का एकमात्र तरीका है कि वायरस शरीर में है या नहीं। ऐसे ज्ञात जोखिम कारक हैं, जो किसी व्यक्ति के एचआईवी संक्रमित करने की आशंका को बढ़ाते हैं। उदाहरण के लिए, जिन लोगों ने बिना कंडोम का इस्तेमाल किए एक से ज्यादा लोगों से यौन संबंध बनाएं हैं या एक ही सुई को साझा किया है उन्हें अपने नजदीकी अस्पताल में जाकर एड्स की जांच अनिवार्य रूप से करानी चाहिए।
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