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एसीएफ को सफल बनाने के लिए मजदूरों व कामगारों के बीच बांटे जा रहे हैं स्लोगन लिखे टी-शर्ट- active-case





• एक्टिव केस फाइंडिंग के लिए प्रचार-प्रसार को व्यापक बनाने के उद्देश्य से रणनीति के तहत किया जा रहा काम
• लोगों को जागरूक करने के लिए बैनर व पोस्टर्स का भी लिया जाएगा सहारा

(बक्सर ऑनलाइन न्यूज़):- जिले में टीबी उन्मूलन के उद्देश्य से एक्टिव केस फाइंडिंग (एसीएफ) को सफल बनाने के लिए प्रचार प्रसार को तेज किया गया है। इसके लिए विशेष रणनीति के तहत कार्य किया जा रहा है। जिससे समाज के निचले स्तर से लेकर सभी इलाकों में लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाई जा सके। इस क्रम में जिला यक्षमा पदाधिकारी डॉ. नरेश कुमार ने अपने स्तर से मजदूरों व कामगारों के बीच जागरूकता सम्बंधी स्लोगन लिखे टी-शर्ट बांटने की मुहिम शुरू की है। ताकि, लोगों में टीबी उन्मूलन को लेकर समझ और जानकारी बढ़ सके। इस संबंध में डॉ. नरेश कुमार ने बताया, मजदूर व कामगार मलिन बस्तियों व झुग्गी झोपड़ियों के साथ जिले के विभिन्न इलाकों में जाते हैं। जहां पर स्लोगन लिखे टी-शर्ट लोगों का ध्यान अकर्षित करने के साथ उनमें जिज्ञासा और जागरूकता भी पैदा करेगी। जिसकी बदौलत एक्टिव केस फाइंडिंग अभियान को गति मिलेगी। साथ ही, बैनर व पोस्टर्स कक भी सहारा लिया जाएगा।
टीबी के लक्षण वाले व्यक्ति रोग को न छिपाएं :
डॉ. नरेश कुमार ने बताया, जिले के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा पदाधिकारियों को माइक्रो प्लान के तहत नए मरीजों की खोज और उनकी पहचान करानी है। जिसके अनुसार शहरी दलित मलिन बस्तियां, ईंट-भट्टों आदि पर काम करने वाले मजदूर, नव निर्मित कार्य स्थलों के मजदूर, ग्रामीण दूरस्थ एवं कठिन क्षेत्र तथा महादलित टोलों में लक्षित समूह में टीबी के रोगियों की पहचान की जा सके। उन्होंने बताया, यदि टीम के लोग किसी के घर पहुंचे तो टीबी के लक्षण वाले व्यक्ति अपने रोग को छिपाएं नहीं, बल्कि लक्षणों के बारे में खुलकर बताएं। टीबी रोग की पुष्टि होने पर उनका समुचित इलाज होगा। साथ ही, टीबी रोगी के बारे में सूचना देने वाले व्यक्ति गैर वेतनभोगी को 500 रुपये प्रोत्साहन स्वरूप दिए जाएंगे। इलाज के दौरान रोगी को भी प्रतिमाह 500 रुपये दिए जाएंगे।
टीबी के लक्षण दिखने पर निजी अस्पताल दें सूचना :
डॉ. नरेश कुमार ने बताया, जिले में 9 नवंबर तक सभी प्रखंडों में संचालित निजी अस्पतालों का भी निरीक्षण किया जाएगा। जिसमें टीबी का इलाज कराने के लिए आने वाले मरीजों की खोज की जाएगी। इस क्रम में निजी अस्पतालों के संचालकों को निर्देशित किया गया है कि किसी भी मरीज में टीबी के लक्षण दिखने पर तत्काल उसकी सूचना विभाग को दी जाए। साथ ही, उन मरीजों का डाटा निश्चय पोर्टल पोर्टल पर दिया किया जाए। रोगी की पहचान करने के लिए उक्त संस्थान को 500 रुपये दिए जाएंगे। साथ ही, पोर्टल पर मरीज का निबंधन होने के बाद उसके खाते में डीबीटी के माध्यम से 500 रुपये भेजे जाएंगे। साथ ही, आशा कार्यकर्ताएं भी डोर टू डोर जाकर अपने क्षेत्र अंतर्गत लोगों में टीबी के लक्षणों की पहचान करेंगी।


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