(बक्सर ऑनलाइन न्यूज़):- जिले में राष्ट्रीय पोषण माह के तहत चरणवार गतिविधियां शुरू हो चुकी हैं। दूसरे चरण में लोगों को कुपोषण के खिलाफ गर्भवती, धातृ महिलाओं को योगाभ्यास/आयुष अभ्यास के माध्यम से जागरूकता किया जा रहा है। साथ ही, गर्भवती महिलाओं को प्रसव पूर्व देखभाल की जानकारी देने के साथ-साथ 8वीं से 10वीं कक्षा के बच्चों के लिये विद्यालयों में पोषण कक्षा का संचालन एवं पोषण संबंधी प्रश्नोतरी का आयोजन किया जाएगा। इस क्रम में मंगलवार को जिले के विभिन्न आंगनबाड़ी केंद्रों पर योग और व्यायाम का अभ्यास किया गया। साथ ही, उन्हें छोटी-मोटी बीमारियों से लड़ने के लिये आयुष पद्धति (घरेलु पद्धति) की भी जानकारी दी गयी जिसका गर्भवती महिलाओं के साथ-साथ धातृ महिलाओं ने लाभ उठाया।
महिलाओं को अपनी सेहत का ख्याल रखना बेहद जरूरी :
सिमरी सीडीपीओ संगीता कुमारी ने बताया, लाभार्थियों को हम कुपोषण से लड़ने और पोषण को अपनाने की बात तो करते ही हैं। लेकिन, कई बार पारिवारिक व घरेलु कामकाज के दबाव में आकर महिलायें अपनी सेहत का ध्यान नहीं रख पाती हैं। कई मामलों में यह भी देखा गया है कि कोई गर्भवती महिला लाभुक खानपान पर ध्यान तो देती है, लेकिन इन सबके बावजूद भी उसकी सेहत गिरती जाती है। जिसका सीधा असर गर्भ में पल रहे शिशु पर पड़ता है। यह सब उनके उपर परिवार की जिम्मेदारियों के कारण होता है। इसके लिये महिलाओं को घर की चिंता के साथ-साथ अपने स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना होगा। इसी बात को ध्यान में रखते हुये इस साल एकीकृत बाल विकास सेवा (आईसीडीएस) विभाग ने महिलाओं को खुद के स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने के लिये यह कदम उठाया है। ताकि, महिलाओं को योग और व्यायाम का लाभ मिले और वह चिंता व तनाव से मुक्त रह सकें।
कुपोषण की रिपोर्ट तैयार कर बच्चों की काउंसिलिंग होगी आयोजित :
सिमरी सीडीपीओ संगीता कुमारी ने बताया, राष्ट्रीय पोषण माह के पहले चरण में बच्चों की उम्र के हिसाब से लंबाई व वजन की मापी की गई है। जिसके आधार पर कुपोषित बच्चों की रिपोर्ट तैयार की जा रही है। जिसके बाद आगामी 15 सितंबर के बाद से परियोजना स्तर पर उक्त बच्चों की काउंसिलिंग की जायेगी। जिसमें उनके माता पिता को भी बुलाया जायेगा। काउंसिलिंग के बाद माता-पिता को बच्चों के कुपोषण को दूर करने के लिये विभिन्न उपायों की जानकरी दी जायेगी। उसके बाद सप्ताह में बार उक्त लाभुक के संबंधित सेविका को उनकी नियमित निगरानी करने कर निर्देश दिया जायेगा। ताकि, यह सुनिश्चित किया जा सके की बच्चे के स्वास्थ्य में अब सुधार किया जा रहा है। दूसरी ओर, गर्भवती महिलाओं में एनीमिया के लक्षणों की पहचान कर उसे दूर करने के लिये भी अभियान चलाये जायेंगे।
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