(बक्सर ऑनलाइन न्यूज़):- MDPI SCIForum के तहत स्विट्जरलैंड में आयोजित मोल2नेट वर्चुअल कांफ्रेंस में कोविड-19 के ऊपर मोबाइल रेडियो तरंग के प्रभाव को लेकर अजीत सिंह एक शोध पत्र प्रस्तुत हुआ है. इसको लेकर शिक्षक अजित सिंह ने बताया कि रेडियो तरंग का प्रसार रेडियो आवृत्तियों पर विद्युत चुम्बकीय विकिरण द्वारा ऊर्जा का एक स्थान से, एक ट्रांसमीटर की मदद से दूसरे स्थान पर स्थित एक रिसीवर तक हस्तांतरण है।
यह शोध मुख्य रूप से इस बात को दर्शाता है कि रेडियो तरंग प्रसार और वायरस आपस में जुड़े नहीं हैं। हमें यह समझना होगा कि रेडियो तरंगें इतनी शक्तिशाली क्यों नहीं हैं कि वे अकेले हमारे शरीर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकें या वायरस संचारित कर सकें। इससे पहले 4G या 3G की तरह, 5G में उपयोग की जाने वाली रेडियो तरंगें कम आवृत्ति और गैर-आयनीकरण विकिरण हैं। ऐसा कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है जो यह दर्शा सके कि दशकों से चली आ रही रेडियो फ्रीक्वेंसी के संपर्क में आने से जैविक बीमारी क्यों होगी। COVID-19 का प्रकोप और चीन में 5G की स्थापना स्पष्ट रूप से संयोग है जहा यह वायरल रोग उभरा और विकसित हुआ हैं। यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि इस महामारी के प्रसार का मौजूदा 5G नेटवर्क के विकास से कोई लेना-देना नहीं है और यह बड़े पैमाने पर अंतरराष्ट्रीय परिवहन के विकास के माध्यम से दुनिया भर में फैल गया है, यहां तक कि उन देशों में भी जहां 5G को तैनात नहीं किया गया है।
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