बक्सर । मध्यप्रदेश के राजधानी भोपाल स्थित स्विमिंग पूल में तैराकी संघ के द्वारा 20वीं मास्टर तैराकी चैंपियनशिप 2024 का तीन दिवसीय आयोजन किया गया. जिसमें देशभर से कुल 800 मेधावी प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया था. वही इस नेशनल चैंपियनशिप में बक्सर जिले के ब्रह्मपुर प्रखंड के सपही गाँव निवासी अंतराष्ट्रीय तैराक कैप्टन बिजेंद्र सिंह भी प्रतिभागी बन कर अपने कुशल तैराकी विद्या से एक साथ तीन गोल्ड मेडल एवं एक सिल्वर मेडल जीतकर जिले का नाम रोशन किया. इसके साथ ही आगामी माह में सिंगापुर में आयोजित होने वाले इंटरनेशनल तैराकी प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए चयनित हुए. इस सम्बंध में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि 50 मीटर,100 मीटर,200 मीटर एवं 400 मीटर फ्री स्टाइल तैराकी प्रतियोगिता में हिस्सा लेते हुए तीन मे सवर्ण पदक और एक मे सिल्वर मेडल जीता.
बता दें कि कैप्टन बिजेंद्र सिंह अंतराष्ट्रीय तैराक रहते हुए देश के लिए अबतक 400 से अधिक मेडल विभिन्न तैराकी प्रतियोगिताओं में जीत चुके हैं. वही फिलहाल ये बिहार तैराकी संघ में चीफ कोच का दायित्व संभाल रहे हैं. इसके अलावा 2008 में सेवानिवृत्त होने के बाद अब अपने पैतृक गाँव सपही में ग्रामीण युवाओं को तैराकी के फायदे और जरूरत के बारे में जागरूक करते हुए तैराकी का गुन फ्री में सिखाते है. उन्होंने बताया कि वे अबतक 300 से अधिक युवाओं को तैराकी सीखा चुके है उनमें से कई युवाओं का सरकारी नौकरी भी हो गई है. उन्होंने बताया कि संसाधन के अभाव होने के बावजूद वे गोकुल जलाशय में युवाओं को तैराकी सिखाते है. इतना ही नहीं लगभग 25 किलोमीटर क्षेत्र में फैले गोकुल जलाशय के जीणोद्धार के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं. इनका मानना है कि यदि इस जलाशय को तरणताल के रूप में विकसित कर दिया जाए तो उसमें पर्यटन के साथ साथ खेल व रोजगार की भी अपार संभावनाएं हैं.
कैप्टन बिजेंद्र सिंह पहले भी अंतराष्ट्रीय रेफरी रह चुके है. लगातार दस सालो तक आर्मी,नेवी और एयरफोर्स का वाटर पोलो गेम में बतौर कैप्टन विश्व स्तर पर प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. इस बीच इंटरनेशनल तैराकी प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेकर कई गोल्ड मेडल देश के नाम किये.
इसी दौरान सन 1986 में ऑस्ट्रेलिया में आयोजित हुए अंतराष्ट्रीय तैराकी में भाग लिया और सवर्ण पदक जीतकर हिंदुस्तान का परचम लहराया. वही 15 किलोमीटर का लंग डिस्टेंस नेशनल तैराकी चैंपियनशिप में लगातार दो बार गोल्ड मेडलिस्ट रहे। जिसके बाद 1987 में सेना की ओर से विशेष पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
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