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हर स्तर पर संस्थागत प्रसव को सुलभ व सुविधानक बनाया जा रहा है : एसीएमओ-




- सरकारी अस्पतालों में प्रसव संबंधी तमाम तरह की जटिलताओं से निपटने के बेहतर इंतजाम
- गृह आधारित प्रसव के मामले जच्चा व बच्चा दोनों के लिये खतरनाक

(बक्सर ऑनलाइन न्यूज़):- जिले में स्वास्थ्य संस्थानों की गुणवत्ता बढ़ाई जा रही है। साथ ही स्वास्थ्य सेवाओं को भी सुदृढ़ किया गया है। जिसमें संस्थागत प्रसव भी शामिल है। इसके लिए न केवल प्रखंड स्तर पर बल्कि अनुमंडल और जिला स्तर के अस्पतालों में प्रसव सेवाओं को बेहतर बनाया गया है। ताकि, लोगों में संस्थागत प्रसव को लेकर रुझान बढ़े। हालांकि, सुरक्षित प्रसव के लिये संस्थागत प्रसव को जरूरी माना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि अब जिले के सरकारी अस्पतालों में प्रशिक्षित व सक्षम चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मियों की निगरानी में प्रसव कराने के साथ साथ जच्चे बच्चे की उचित देखभाल की जाती है। संस्थागत प्रसव की बदौलत पूर्व की अपेक्षा मातृ-मृत्यु दर के मामलों पर प्रभावी नियंत्रण संभव हो सका है।
सरकारी संस्थानों को सुदृढ व सुविधा संपन्न बनाया गया है :
अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. अनिल भट्ट ने बताया, लोगों तक संस्थागत प्रसव संबंधी सेवाओं की सहज पहुंच सुनिश्चित कराने व इसके प्रति लोगों को प्रेरित व प्रोत्साहित करने के लिये कई योजनाएं संचालित की जा रही हैं। इसे लेकर सरकारी चिकित्सा संस्थानों को सुदृढ व सुविधा संपन्न बनाया गया है। जहां प्रसव संबंधी तमाम तरह की जटिलताओं से निपटने के बेहतर इंतजाम उपलब्ध है। वहीं, गृह आधारित प्रसव के मामले जच्चा व बच्चा दोनों के लिये खतरनाक है। जिससे लोगों को बचना चाहिए। अब हर स्तर पर संस्थागत प्रसव को सुलभ व सुविधानक बनाया जा रहा है। लोगों को इसका लाभ उठाना चाहिये।    
प्रोत्साहन राशि करायी जाती है उपलब्ध:
प्रसव संबंधी सेवा के लिये सरकारी अस्पताल में आने के बाद महिला स्वयं ही जननी बाल सुरक्षा योजना की पात्र होती है। योजना के माध्मय से गर्भवती महिलाओं को आर्थिक मदद उपलब्ध कराकर जच्चा व बच्चा के स्वास्थ्य को संरक्षित व बेहतर बनाने का प्रयास किया जा रहा है। सरकारी अस्पताल में प्रसव कराने पर महिलाओं को प्रोत्साहन राशि उपलब्ध कराया जाता है। शहरी क्षेत्र में 1000 रुपये व ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को 1400 रुपये दिए जाते है। साथ ही,  मुफ्त एंबुलेंस सेवा, मुफ्त खाना, मुफ्त सी सेक्शन ऑपरेशन, मुफ्त में खून चढ़ाना सहित अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने का प्रावधान है।
बढ़े हैं संस्थागत प्रसव के आंकड़े :
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के आंकड़ों के अनुसार जिले में कुल संस्थागत प्रसव का आंकड़ा 89.5 प्रतिशत है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के आंकड़ों के अनुसार कुल संस्थागत प्रसव का आंकड़ा 81.6 प्रतिशत था। ये आंकड़ें योजना के प्रति आम लोगों में बढ़ी हुई जागरूकता को भी दर्शाता है।

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