Ad Code


मां का दूध शिशु के लिए सर्वोत्तम आहार : डीपीओ- dpo buxar






(बक्सर ऑनलाइन न्यूज़):- शिशुओं को कुपोषण से बचाने और शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के उद्देश्य से जिले में रविवार से विश्व स्तनपान सप्ताह का शुभारंभ हुआ। इस दौरान आंगनबाड़ी केंद्रों के सम्बंधित पोषण क्षेत्र में विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से माताओं व महिलाओं को जागरूक किया गया। जहां एक ओर आमजनों को जागरूक करने के उद्देश्य से रैली निकाली गई। वहीं, सेविकाएं अपने पोषण क्षेत्र में घर घर जाकर माताओं को इसकी जानकारी दे रही हैं। सेविकाओं का ज्ञानवर्धन करने के लिए बैठक की गई। जिसमें उन्हें स्तनपान से जुड़ी शार्ट फ़िल्म दिखाई गई। साथ ही, विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई। जिसमें बच्चों को गंभीर बीमारी से बचाव, शिशु मृत्यु दर में कमी, स्तनपान के सही पोजिशन, कैंसर जैसी गंभीर बीमारी, 6 माह तक सिर्फ और सिर्फ स्तनपान आदि मुद्दे शामिल रहे। बैठक के बाद सभी सेविकाओं को धात्री महिलाओं को अपने शिशुओं को स्तनपान के लिए प्रेरित करने और गर्भवती महिलाओं को स्तनपान के महत्व व उद्देश्य की जानकारी देने का निर्देश दिया गया।
डब्बा बन्द दूध पिलाना सरासर गलत :
एकीकृत बाल विकास सेवा (आईसीडीएस) विभाग की डीपीओ तरणि कुमारी ने बताया,स्तनपान महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए बहुत ही आवश्यक है। शिशु के लिए मां का दूध सर्वोत्तम आहार है। बच्चे के जन्म के तुरंत बाद मां का गहरा पीला दूध पिलाएं| यह दूध बच्चे को बीमारी से लड़ने की ताकत देती है। इससे बच्चे के स्वास्थ्य बेहतर होंगे। उन्होंने कहा, आज के इस फैशन युग में महिलाएं बच्चे को स्तनपान नहीं कराकर डब्बा बंद दूध पिलाती हैं । जो सरासर गलत है। एक मां को कदापि ऐसा नहीं करना चाहिए| हर हाल में बच्चे को अपना दूध पिलाना चाहिए |इससे मां और बच्चे के बीच मधुर संबंध बनते हैं। डीपीओ ने जिले की सभी महिलाओं से स्तनपान को लेकर किसी के बहकावे में नहीं आने और बच्चे को अपना दूध जरूर पिलाने की अपील की।
मां के शरीर में दूध पैदा होना एक नैसर्गिक प्रक्रिया :
सिमरी प्रखंड की सीडीपीओ संगीता कुमारी ने बताया, नवजात शिशु के लिए मां का पहला पीला गाढ़ा दूध कोलेस्ट्रम संपूर्ण आहार होता है। जिसे बच्चे के जन्म के तुरंत बाद 1 घंटे के भीतर ही शुरू कर देना चाहिए। सामान्यता बच्चे को 6 महीने की अवस्था तक स्तनपान कराना चाहिए। शिशु को 6 महीने की अवस्था और 2 वर्ष अथवा उससे अधिक समय तक स्तनपान कराने के साथ-साथ पौष्टिक पूरक आहार भी देना चाहिए। मां के शरीर में दूध पैदा होना एक नैसर्गिक प्रक्रिया है। जब तक बच्चा दूध पीता है, तब तक मां के शरीर में दूध पैदा होता है एवं बच्चे के दूध पीना छोड़ने के पश्चात कुछ समय बाद अपने आप ही स्तन से दूध बनना बंद हो जाता है। उन्होंने बताया, मां का दूध जिन बच्चों को बचपन में पर्याप्त रूप से पीने को नहीं मिलता, उनमें बचपन में शुरू होने वाली मधुमेह की बीमारी अधिक होती है। बुद्धि का विकास उन बच्चों में दूध पीने वाले बच्चों की अपेक्षाकृत कम होता है। अगर बच्चा समय से पूर्व जन्मा (प्रीमेच्योर) हो, तो उसे बड़ी आंत का गंभीर  रोग, नेक्रोटाइजिंग एंटोरोकोलाइटिस हो सकता है। अगर गाय का दूध पीतल के बर्तन में उबाल कर दिया गया हो, तो उसे लिवर (यकृत) का रोग इंडियन चाइल्डहुड सिरोसिस हो सकता है। इसलिए मां का दूध छह-आठ महीने तक बच्चे के लिए श्रेष्ठ ही नहीं, जीवन रक्षक भी होता है।
स्तनपान से शिशु को होने वाले फायदे: 
- अच्छा और सम्पूर्ण आहार होता है मां का दूध
- दूध में पाया जाने वाला कोलेस्ट्रम शिशु को प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करता है
- शिशु को रोगों से बचाता है
- शिशु की वृद्धि अच्छे से होती है


................. ................. ............... ..............
Send us news at: buxaronlinenews@gmail.com

ख़बरें भेजें और हम पहुंचाएंगे, 
आपकी खबर को सही जगह तक.... 





 

Post a Comment

0 Comments

Close Menu