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जिले की 1587 सेविकाओं को पोषण ट्रैकर एप के संचालन का दिया जा रहा प्रशिक्षण- icds label






(बक्सर ऑनलाइन न्यूज़):- आंगनबाड़ी केंद्रों की महत्ता को देखते हुये अब इसे पूरी तरह से हाईटेक करने की तैयारी की जा रही है। जिससे एकीकृत बाल विकास सेवा (आईसीडीएस) के स्तर से दी जाने वाली सेवाओं की गुणवत्ता व संचालन को और भी अधिक सुविधाजनक और सहज बनाया जा सके। इस क्रम में विभाग के द्वारा की शत-प्रतिशत निगरानी के साथ मूल्यांकन की प्रक्रिया को भी अपग्रेड किया जा रहा है। जिसके लिये सरकार ने एक पोषण ट्रैकर एप  की शुरुआत की है। एप के माध्यम  से जिले के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों की निगरानी और मूल्यांकन में भी आसानी होगी। हालांकि, एप के इस्तेमाल व उसकी उपयोगिता को देखते हुये सरकार ने सभी आंगनबाड़ी केंद्रों की सेविकाओं को प्रशिक्षित करने का निर्णय लिया है। जिसके आलोक में बक्सर जिले की 1587 आंगनबाड़ी केंद्रों की सेविकाओं को संबंधित पंचायत स्तर के कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) के माध्यम से प्रशिक्षित किया जा रहा है। 
सीएससी संचालकों के द्वारा सेविकाओं को दी जा रही एप की जानकारी :
राष्ट्रीय पोषण अभियान के जिला समन्वयक महेंद्र कुमार ने बताया, संक्रमण की संभावना को देखते हुये सभी सेविकाओं को ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके लिये प्रत्येक सीएससी के स्तर से सेविकाओं का दो-तीन बैच कर एप के संचालन और अन्य जरूरी चीजों की जानकारी दी जा रही है। हालांकि, विभाग की ओर से सेविकाओं को स्मार्ट फोन पूर्व में ही उपलब्ध कराया जा चुका है। इसलिये ट्रेनरों के द्वारा सेविकाओं को पोषण ट्रैकर एप को मोबाइल में डाउनलोड करने और उसे उपयोग करने की जानकारी दी गई है। प्रशिक्षण की सफलता  को लेकर विभाग ने सभी पंचायत में निगरानी का जिम्मा सीडीपीओ को दिया है। ताकि, वह स्थल पर जाकर भौतिक सत्यापन कर सकें कि सेविकाओं ने एप डाउनलोड किया है या नहीं।
सभी पोषण गतिविधियों की जानकारी पोषण ट्रैकर एप  में अपलोड :
जिला समन्वयक महेंद्र कुमार ने बताया, प्रशिक्षण के बाद स्थानीय स्तर पर सेविकाओं द्वारा की जा रही सभी पोषण गतिविधियों की जानकारी पोषण ट्रैकर एप में अपलोड की जाएगी। इस एप के माध्यम से रियल टाइम मॉनिटरिंग की प्रक्रिया को मजबूती मिलेगी। एप के द्वारा सेविकाएं क्षेत्र में उपस्थित नवजात शिशुओं, गर्भवती-धात्री महिलाओं, उनके पोषण व स्वास्थ्य की जानकारी, टीएचआर का वितरण, बच्चों की ग्रोथ मॉनिटरिंग आदि तमाम जानकारी एप पर दर्ज करेंगी। उन्होंने बताया, एप के माध्यम से कुपोषण से संबंधित मामलों को सूचीबद्ध करना आसान होगा। साथ ही, आंगनबाड़ी क्षेत्रों में गर्भवती व धात्री महिलाओं, 0 से 03 वर्ष के बच्चे, 03 से 06 वर्ष के बच्चे, किशोर-किशोरियों के साथ ही आंगनवाड़ी पोषक क्षेत्र के अनाथ बच्चों व उनसभी के स्वास्थ्य की जानकारी सेविकाओं द्वारा अपलोड किया जाएगा व विभाग द्वारा नियमित उसकी सतत निगरानी की जाएगी।


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