बक्सर । ब्रह्मपुर प्रखंड अंतर्गत तुलसी आश्रम रघुनाथपुर में भव्य राम दरबार के निर्माण कार्य ने गति पकड़ ली है। यह आश्रम बक्सर जिले का एक अत्यंत महत्वपूर्ण धार्मिक एवं ऐतिहासिक स्थल माना जाता है, जहां रामचरितमानस की अमूल्य विरासत और उसके रचयिता गोस्वामी तुलसीदास की पावन स्मृतियां आज भी जीवंत हैं। मान्यता है कि यही वह तपोभूमि है, जहां गोस्वामी तुलसीदास ने तपस्या के साथ रामकथा का प्रचार किया और रामचरितमानस के उत्तरकांड की रचना की थी।
स्थानीय ग्रामीणों के सहयोग से पंद्रहवीं शताब्दी से स्थापित प्राचीन राम-जानकी मंदिर का व्यापक जीर्णोद्धार कराया जा रहा है। अयोध्या की तर्ज पर यहां भव्य राम दरबार के निर्माण की योजना है। नव निर्मित मंदिर परिसर में राम-जानकी की प्रतिमा के साथ लक्ष्मी-नारायण और राधे-कृष्ण की प्रतिमाएं भी स्थापित की जाएंगी। सभी प्रतिमाओं का निर्माण राजस्थान के कुशल कारीगरों द्वारा किया जा रहा है। साथ ही मंदिर परिसर में धर्म ध्वज की स्थापना भी की जाएगी, जिससे यह स्थल और अधिक आकर्षक एवं भव्य स्वरूप में सामने आएगा।
तुलसी विचार मंच के संयोजक शैलेश ओझा ने बताया कि रघुनाथपुर केवल एक गांव नहीं, बल्कि भारतीय आत्मा का वह पवित्र केंद्र है, जहां तुलसीदास जी की वाणी आज भी गूंजती है। उन्होंने कहा कि रघुनाथपुर का पुराना नाम बेला पतवत था, जिसे गोस्वामी तुलसीदास ने बदलकर रघुनाथपुर किया। गांव के दक्षिणी हिस्से में स्थित एक छोटे से राम मंदिर को देखकर ही तुलसीदास जी यहां प्रवास करने लगे थे और बोधिवृक्ष के नीचे साधना करते हुए ग्रामीणों को रामकथा सुनाते थे। गांव के जमींदार रघुनाथ सिंह द्वारा उन्हें चार एकड़ भूमि दान में दी गई थी, जिसका उल्लेख विभिन्न सर्वे खतियान और सरकारी अभिलेखों में भी मिलता है।
आश्रम परिसर में हाल ही में निर्मित महाकाल मंदिर श्रद्धालुओं के आस्था का नया केंद्र बन गया है। यहां स्थापित विशाल शिवलिंग के दर्शन के लिए दूर-दराज से लोग आते हैं। परिसर स्थित तुलसी सरोवर छठ पूजा और गंगा आरती जैसे आयोजनों के लिए प्रसिद्ध है। सावन माह में तुलसी जयंती, रामनवमी, दशहरा और महावीरी झंडा जुलूस जैसे सांस्कृतिक आयोजनों से पूरा क्षेत्र भक्तिमय हो उठता है।
स्थानीय ग्रामीणों एवं तुलसी विचार मंच के सदस्यों ने पर्यटन विभाग से तुलसी आश्रम को रामायण सर्किट में शामिल कर धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने, मानस ग्रंथालय की स्थापना और गोस्वामी तुलसीदास की भव्य प्रतिमा स्थापित करने की मांग की है।
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