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डुमरांव विधानसभा चुनाव में नई चुनौती : वामपंथी नेता प्रदीप शरण ने विधायक अजीत सिंह कुशवाहा को बताया ‘असफल जनप्रतिनिधि’, बोले– “जनता बदलाव चाहती है”

बक्सर । बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के मद्देनज़र डुमरांव सीट पर इस बार मुकाबला और रोचक होता दिख रहा है। वामपंथी ट्रेड यूनियन के वरिष्ठ नेता एवं सामाजिक कार्यकर्ता प्रदीप शरण ने अपनी ही पार्टी के वर्तमान विधायक अजीत सिंह कुशवाहा के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए बड़ा बयान दिया है। ठठेरी बाजार निवासी 65 वर्षीय प्रदीप शरण ने शुक्रवार को नामांकन प्रपत्र खरीदा और घोषणा की कि वे 17 अक्टूबर को अपना नामांकन दाखिल करेंगे।

उन्होंने कहा, “विधायक का कार्यकाल जनता के साथ धोखा साबित हुआ है। उन्होंने न जनता का भरोसा निभाया, न पार्टी कार्यकर्ताओं का सम्मान किया। जनता बदलाव चाहती है और मैं उस बदलाव की आवाज हूं।”


विधायक पर गंभीर आरोप

प्रदीप शरण ने आरोप लगाया कि वर्तमान विधायक हर मोर्चे पर विफल रहे हैं — चाहे होल्डिंग टैक्स विवाद हो, नगर की गंदगी, या अधूरे विकास कार्यों की बात हो, जनता अब सब देख और समझ चुकी है। उन्होंने कहा कि अब वे जनता के असली मुद्दों पर संघर्ष करेंगे और “ठगने वालों को हराकर ही दम लेंगे।”

जनआंदोलनों से निकला नाम

प्रदीप शरण डुमरांव क्षेत्र में हर शोषण, अन्याय और भ्रष्टाचार के खिलाफ एक मुखर आवाज के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने नगर परिषद की मनमानी टैक्स वसूली, अनुमंडल अस्पताल की बदहाल स्थिति, काव नदी की सफाई, प्रधानमंत्री आवास योजना में गड़बड़ियों और हर घर नल-जल योजना की कमजोर क्रियान्वयन पर लगातार सवाल उठाए हैं।

वे ‘सामाजिक मंच’ नामक संस्था के संस्थापक हैं, जो गरीबों और वंचितों के अधिकारों की लड़ाई लड़ती है। उनका सामाजिक जीवन 1974 के छात्र आंदोलन से शुरू हुआ था। वे ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ और ‘राइट टू एजुकेशन’ जैसे अभियानों से भी जुड़े रहे हैं। उनका नारा – “हर बच्चे का है अधिकार – रोटी, खेल, पढ़ाई और प्यार” – आज भी युवाओं में प्रेरणा जगाता है।

नशाखोरी, भ्रष्टाचार और बाल श्रम के खिलाफ मोर्चा

प्रदीप शरण ने वर्षों से डुमरांव में नशाखोरी, भ्रष्टाचार, अशिक्षा और बाल श्रम के खिलाफ आवाज उठाई है। उन्होंने स्कूलों और सार्वजनिक स्थलों के पास शराब की दुकानों को बंद कराने के लिए अभियान चलाया था। उनकी प्रेरणा से कई युवाओं ने नशे की लत छोड़ी और समाज सेवा से जुड़े।

उन्होंने केसर-ए-हिंद की जमीन से अतिक्रमण हटाने के लिए धरना दिया था, जिसके बाद प्रशासन को कार्रवाई करनी पड़ी। फिलहाल वे अनुसूचित बस्ती में सामुदायिक शौचालय और निराश्रितों के लिए आवास की मांग को लेकर संघर्षरत हैं।




सामाजिक प्रतिबद्धता के चलते प्रदीप शरण को जिला विकास समन्वय निगरानी समिति में सामाजिक कोटे से सदस्य मनोनीत किया गया है। वे कहते हैं कि “लोकनायक जयप्रकाश नारायण की राजनीति अब खत्म हो चुकी है। आज के नेता जनता के दर्द से दूर हो गए हैं। लेकिन मैं आखिरी सांस तक लड़ता रहूंगा, जब तक समाज से अन्याय और भ्रष्टाचार खत्म नहीं हो जाता।”

डुमरांव की सियासत में प्रदीप शरण की यह चुनौती वामपंथी राजनीति के भीतर उभरते असंतोष का संकेत मानी जा रही है। अब देखना दिलचस्प होगा कि जनता पुराने जनप्रतिनिधि पर भरोसा बनाए रखती है या अनुभवी समाजसेवी को मौका देती है।












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