बक्सर । ब्रह्मपुर प्रखंड के गोकुल जलाशय को अब वैश्विक रूप से महत्वपूर्ण आर्द्र क्षेत्र के रूप में रामसर साइट का दर्जा मिल गया है। केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की इस घोषणा के बाद 448 हेक्टेयर में फैले गोकुल जलाशय का संरक्षण और पहचान राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुनिश्चित हो गई है।
इस उपलब्धि के बाद स्थानीय पर्यावरण प्रेमियों और जैव विविधता कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर है। दक्षिण बिहार प्रांत के जनसंवाद सह प्रमुख शैलेश ओझा ने कहा कि यह क्षेत्रीय गौरव के साथ-साथ जैव विविधता संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। गोकुल जलाशय में 65 से अधिक दुर्लभ और प्रवासी पक्षियों सहित विभिन्न प्रजातियों का प्राकृतिक आवास है, जो अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुरक्षित रहेगा।
स्थानीय पर्यावरण कार्यकर्ता नित्यानंद ओझा, शंभूनाथ पांडे, विशाल सिंह और डॉ. हरिशंकर चौबे ने बताया कि यह शांत जलाशय प्रवासी पक्षियों और जलीय जीवन के लिए संरक्षित आश्रय बन गया है, जिससे पर्यावरण संरक्षण प्रयासों को मजबूती मिलेगी और पर्यटन तथा स्थानीय लोगों की आजीविका पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा।
गौरतलब है कि वर्ष 2022 में तत्कालीन जिलाधिकारी अमन समीर ने व्यक्तिगत पहल करते हुए गोकुल जलाशय के संरक्षण के कदम उठाए थे। उसी वर्ष "वेटलैंड इंटरनेशनल" की टीम ने जलाशय का सर्वे किया था। पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सांसद अश्विनी चौबे ने भी जलाशय के सौंदर्यकरण के प्रयासों में योगदान दिया। इस घोषणा के साथ भारत में रामसर साइटों की संख्या बढ़कर 92 हो गई है, जो पूरे एशिया में सबसे अधिक है।
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