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बिहार की स्वर्णिम आभा पुनः लौटाने के लिए जंगलराज का समूल नष्ट होना जरूरी- पूर्व आईआरएस बिनोद चौबे- buxar-bihar


बक्सर । बिहार राज्य में उत्थान की अनेक अलग-अलग संभावनाएं निहित इसके अनुपालन पर विशेष जोर देने से ही दृश्य बदलने लगेगा। आधुनिक खेती, पर्यटन, कृषि आधारित रोजगार और धंधे, नौकरी के लिए तैयार करने वाले कौशल और शिक्षा की ट्रेनिंग के माध्यम से बेरोजगारी को कम किया जा सकता है। बिहार की स्वर्णिम आभा पुनः लौटाने के लिए अपराधीकरण और जंगलराज का समूल नष्ट होना जरूरी न है। ये बातें बक्सर के रहने वाले भारतीय राजस्व सेवा के पूर्व अधिकारी बिनोद चौबे ने दिल्ली के जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कहीं। 


वाल्मिकी विचार मंच की ओर से जेएनयू में "बिहार के विकास में बाधक रहा उसका अपराधीकरण" विषय पर एक वार्तालाप का आयोजन किया गया था। इसमें आइजीएनसीए के अध्यक्ष राम बहादुर राय के अलावा बक्सर के रहने वाले, भारतीय राजस्व सेवा के पूर्व अधिकारी बिनोद चौबे भी शामिल हुए। 




कार्यक्रम में पुस्तक "ब्रोकेन प्रामिसेसः कास्ट, क्राइम एंड पालिटिक्स इन बिहार" के लेखक मृत्युंजय शर्मा भी थे। बिहार का गौरवशाली इतिहास और वर्तमान के विकासशील बिहार के बीच क्या-क्या प्रताड़नाएं विहार को झेलनी पड़ीं, उसकी प्रतिक्रिया, परिणाम और उपायों पर वक्ताओं ने विस्तृत विचार प्रकट किए।






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