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खरवार समाज के लोगों ने हर्षोल्लास के साथ किया वनदेवी का वार्षिक पूजा,कहा- पूर्वजों की परंपरा को आज भी कर रहे निर्वहन-The-people-of-Kharwar-community-performed-the-annual-worship-of-Vanadevi-with-great-enthusiasm, saying that they are still following the tradition of their ancestors



बक्सर । सदर प्रखंड के सोनवर्षा गाँव के बगीचे में खरवार-बहरवार समाज के लोगों ने हर्षोल्लास के साथ वनदेवी की वार्षिक पूजन की. इसके लिए आम के बगीचे में वनदेवी का पिंडी बनाया गया था जहाँ खरवार समाज के पुरोहित संत जनार्दन दास के द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजा कराया गया. इसके अलावा बगीचे में लगे सभी वृक्षों का भी पूजन किया गया. इस सम्बंध में जानकारी देते हुए वनदेवी पूजा समिति के अध्यक्ष परमानन्द ने बताया कि प्राचीन काल से वनदेवी की पूजन का परंपरा चली आ रही है जिसका निर्वहन खरवार-बहरवार समाज के लोग आज भी कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि इस मौके पर न केवल पुराने वृक्षों की पुजा की जाती है बल्कि, नए पौधे भी लगाएं जाते है. उन्होंने बताया कि वनदेवी का वार्षिक पूजा हर साल श्रावण माह में ही होता है. इस अवसर पर भंडारा का भी आयोजन किया जाता है. 



वनदेवी पूजनोत्सव में प्रकृति की होती है पूजा:

इस दौरान शिक्षक सन्तोष कुमार खरवार ने बताया कि वन देवी की पूजा के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया जाता है. उन्होंने कहा कि इस मौके पर लोगों ने पर्यावरण की रक्षा का संकल्प लेते हुए कहा कि आनेवाली पीढ़ियों के लिए हम एक सुंदर पर्यावरण का उपहार उन्हें प्रदान करें, यह हमारा नैतिक कर्तव्य है. उन्होंने बताया कि भागदौड़ भरे इस जमाने में लोग परंपरागत मान्यताओं को भूलते जा रहे हैं. जिसके कारण हमारे संस्कारों के साथ-साथ हमारे परिवेश को भी काफी क्षति पहुंच रही है. वनों की अंधाधुंध कटाई, नए पौधे न लगाए जाने तथा कल कारखानों से निकलने वाले धुएं के प्रदूषण से देश की राजधानी दिल्ली समेत कई प्रमुख शहरों में भी बेहद खराब हालात पैदा हो जा रहे हैं. इससे बचाव तथा पर्यावरण संरक्षण के लिए उपस्थित लोगों को पौधरोपण को नितांत जरूरी बताया.


वनदेवी की पूजा कर परम्परा का कर रहे निर्वहन:

वही विजय खरवार ने बताया कि वनदेवी की पूजा उनके पूर्वज वैदिक काल से ही करते आ रहे हैं. इसी का निर्वहन वे भी कर रहे हैं. बताया कि संप्रदाय के लोग पहले जंगलों, वनों, गिरी, कंदराओं में निवास करते रहे हैं. जहां संस्कृति का निर्वहन करते हुए आराध्य देवी के रूप में वन देवी की पूजा की जाती थी. जिसे वो प्रकृति को अपनी ऊर्जा के स्त्रोत के रूप के पूजती थी. उसी को निभाते हुए खरवार समाज को एकजुट होकर अपनी परम्परा का निर्वहन करने का आह्वान किया गया. इस मौके पर डॉ शशि खरवार,नन्दू खरवार, त्रिलोकी खरवार,अनिल कुसुम,डॉ अजय कुमार सहित कई लोग पूजा में शामिल रहे.




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