(बक्सर ऑनलाइन न्यूज):- शहर के बाईपास रोड स्थित माँ मुंडेश्वरी चिल्ड्रेन हॉस्पिटल के निदेशक एवं शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ मेजर पीके पान्डेय ने नवजात शिशुओं को कुपोषण से बचाने के लिए उनके माता-पिता से अपील करते हुए कहा है कि यदि बच्चा छह माह के नीचे का है तो उसे कुपोषण से बचाने के लिए माँ का दूध बेहद जरूरी है वही 6 माह से ऊपर के बच्चों को पौष्टिक आहार खिलाकर अन्नप्राशन कराना चाहिए।
डॉ पीके पान्डेय ने कहा कि इस दौरान बच्चों को पूरक आहार के तौर पर खिचड़ी या खीर खिलाई जानी चाहिए। उन्होंने बताया कि 6 माह पूर्ण होने के बाद शिशु को अधिक ऊर्जा की जरूरत होती है। इस दौरान उनका शारीरिक एवं मानसिक विकास तेजी से होता है। इसके लिए सिर्फ स्तनपान पर्याप्त नहीं होता है। इसलिए 6 माह के बाद स्तनपान के साथ अनुपूरक आहार की भी जरूरत होती है।
डॉ पीके पान्डेय ने बताया अन्नप्राशन के दिन बच्चों को गाढ़ी दाल, अनाज, हरी पत्तेदार सब्जियां, मौसमी फल और दूध व दूध से बना उत्पाद खिलाया जाना चाहिए। तरल व पानी वाला भोजन जैसे दाल का पानी या मांड आदि न देकर उतना ही अर्द्ध ठोस आहार दिया जाता है, जितना बच्चे खा सकें। धीरे-धीरे भोजन की मात्रा, भोजन का गाढ़ापन बढ़ाये जाने की सलाह दी जाती है।
डॉ पीके पान्डेय ने कहा कि शिशुओं को स्वस्थ रखने के लिए माता-पिता इन बातों का रखें ख्याल :
- 6 माह बाद स्तनपान के साथ अनुपूरक आहार शिशु को दें।
- स्तनपान के अतिरिक्त दिन में 5 से 6 बार शिशु को सुपाच्य खाना दें।
- शिशु को मल्टिंग आहार (अंकुरित साबुत आनाज या दाल को सुखाने के बाद पीसकर) दें।
- माल्टिंग से तैयार आहार से शिशुओं को अधिक ऊर्जा प्राप्त होती है।
- शिशु यदि अनुपूरक आहार नहीं खाए तब भी थोड़ा-थोड़ा करके कई बार खिलाएं।
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