(बक्सर ऑनलाइन न्यूज):- चौसा प्रखंड अंतर्गत हनुमत धाम मंदिर में भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया गया। बक्सर वाले पूज्य श्री मामा जी महाराज के प्रथम दुलारे शिष्य श्री राम चरित्र दास जी महाराज उर्फ महात्मा जी ने कथा के दौरान बताया कि कंस अपनी बहन देवकी का विवाह धूमधाम से करता है। देवकी को ससुराल ले जाते समय आकाशवाणी होती है कि देवकी का आठवां पुत्र उसका काल होगा। यह सुनकर कंस देवकी और बहनोई वासुदेव को कारागृह में डाल देता है। देवकी के सात बच्चों को कंस मार देता है, लेकिन आठवें पुत्र के रूप में भगवान विष्णु के अवतार लेते ही कारागृह के ताले अपने आप खुल हैं। सभी सिपाही गहरी निद्रा में सो जाते हैं। फिर वासुदेव गोकुल में जाते हैं और वासुदेव कृष्ण को गोकुल में माता यशोदा के पास पहुंचा देते हैं। माता यशोदा के यहां से माया रूपी बच्ची को लाते हैं। कारागृह में प्रवेश करते ही फिर सारे कारागृह के ताले बंद हो जाते है। कंस के सिपाही/पहरेदार पुनः जागृत अवस्था में आ जाते है। माया रूपी बच्ची रोना शुरू कर देती हैं जिससे सैनिकों को पता चल जाता है कि देवकी का आठवां लाल जन्म ले चुका है। वे तुरंत महाराज कंस को खबर देते है। कंस कारागृह में प्रवेश करता है और उस माया रूपी बच्ची को देवकी से छीनकर पटकने ही वाला होता है कि माया रूपी बच्ची गायब हो जाती है। उसके बाद आकाशवाणी होती है कि हे मूर्ख कंस तुझे मारने वाला जन्म ले चुका है। कंस विचलित हो उठता है। उसके बाद कंस अपने सिपाहियों को आस पास के गांवों में जन्म लेने वाले बच्चों के बारे में पता करने के लिए कहता है। उसे पता चलता है कि गोकुल में बाबा नन्द के यहां बच्चे का जन्म हुआ है तो अपनी बहन पूतना को कृष्ण को मारने के लिए भेजता है, लेकिन भगवान कृष्ण पूतना को मार देते हैं। वहीं, भगवान के जन्म के बाद बधाई गीतों से मंदिर परिसर गूंज उठता है। लोग नाचने लगते है। नंद के घर हो रही जय-जयकार... और नंद घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की... बधाई गीतों से सभागार गूंजने लगता है।
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