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शहीद विक्रम सिंह की अंतिम यात्रा में उमड़ी भारी भीड़,विक्रम सिंह अमर रहे के नारों से गूंज उठा इलाका- sainik-shahid




(बक्सर ऑनलाइन न्यूज़):-  मुरार थाना क्षेत्र के फफदर गाँव के लाल शहीद विक्रम सिंह की शव शनिवार को सैनिक सम्मान के साथ पैतृक गांव पहुँचा। जहाँ उनके अंतिम दर्शन करने को हजारों की संख्या में लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा।

दरअसल,एक जून को चार बजे शाम में भटिडा से हथियार लेकर जा रहे सैनिकों से भरी गाड़ी उधमपुर और जम्मू कश्मीर के बीच कहीं खाई में पलट गई है। इसमें कुल सात जवान शहीद हो गए और 19 जवान गंभीर रूप से घायल हो गए। इस घटना में फफदर का लाल विक्रम सिंह भी शहीद हुए हैं।  शनिवार की सुबह सैन्य अधिकारियों के साथ ताबूत में राष्ट्रीय तिरंगा से लिपटा जवान विक्रम का शव देखते ही पूरे गांव में हाहाकार मच गया। इस दौरान शहीद के साथ आए सेना के अधिकारियों और जवानों ने सलामी देकर अपने साथी को अंतिम विदाई दी। 


इस मौके पर शहीद जवान के पिता सेना के जवान कमलेश सिंह, एसडीएम कुमार पंकज,एएसपी श्रीराज, मुरार थानाध्यक्ष रविकांत प्रसाद,स्थानीय विधायक अजीत कुशवाहा, जिला पार्षद अरविद प्रताप शाही, जिला पार्षद डा. राजीव कुमार यादव, चौगाई प्रमुख ऋषिकांत सिंह, प्रखंड विकास पदाधिकारी तेज बहादुर सुमन, मसर्हियां पंचायत के मुखिया मनोज कुमार, चौगाईं के मुखिया प्रतिनिधि बड़कू सिंह, इंद्रजीत बहादुर सिंह, नंदलाल पंडित, हरेंद्र प्रताप सिंह, दिनेश सिंह सूर्या, देवीदयाल सिंह, पताली सिंह और चरंगा सिंह सहित कई गणमान्य लोगों ने जवान के पार्थिव शरीर पर पुष्प चढ़ाकर अंतिम विदाई दी। 

विक्रम सिंह के शहीद होने के बाद फफदर गांव सहित उनके चाहने वालों में मातम का माहौल है। शनिवार की सुबह सैन्य अधिकारियों के साथ काठ के ताबूत में राष्ट्रीय तिरंगे से लिपटा जवान का शव पैतृक गांव में पहुंचते ही भारत माता की जय और विक्रम सिंह अमर रहे के नारों से पूरा गांव गूंज उठा। अपने लाल का अंतिम दर्शन करने के लिए इस भीषण गर्मी और कड़ाके की धूप की परवाह किए बगैर कोरानसराय बगेन मुख्य मार्ग से गांव तक लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। शहीद जवान के पैतृक आवास पर साथ में आए सेना के अधिकारियों और जवानों के अलावा प्रतिनिधियों और गणमान्य लोगों ने पुष्पांजलि अर्पित कर अंतिम विदाई दी। 

फफदर गांव निवासी और भारतीय सेना के जवान कमलेश सिंह के पुत्र विक्रम सिंह वर्ष 2019 में भारतीय सेना के 53 आ‌र्म्ड कोर में बहाल हुए थे। पिता और पुत्र दोनों एक ही रेजिमेंट में गंगानगर मे पोस्टेड थे। शहीद जवान के पिता ने बताया कि बहुत कम समय में विक्रम सिंह ने अपने बेहतर कार्यकलापों और अनुशासन के बदौलत रेजीमेंट में नाम किया था। 

महज 20-21 साल की उम्र में भारतीय सेना में भर्ती होने के बाद विक्रम सिंह जब पहली बार अपने गांव में आए तो अपने साथियों को सेना में भर्ती होने की खुशी में मिठाइयां बांटी थी।


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