Ad Code


समस्त सांसारिक मोह माया से बचने के लिए ईश्वर की भक्ति जरूरी- गंगापुत्र त्रिदंडी स्वामी- gangaputra tridandi





(बक्सर ऑनलाइन न्यूज़):-  बक्सर जिले के महान संत परम पूज्य गंगापुत्र त्रिदंडी स्वामी जी महाराज का चतुर्मास उत्तरप्रदेश के गाजीपुर जनपद के ऊंचाडीह स्थित नागेश्वर महादेव मंदिर में चल रहा है इस दौरान प्रतिदिन यहाँ पर श्री स्वामी जी के मुखारबिंद से श्रद्धालुओं को श्रीमद भागवत कथा सुनने को मिल रहा है। 

बीते दिन कथा में स्वामी जी ने बताया कि एक बार नारद जी ब्रम्हा को देखे तो प्रश्न कर दिया, आप किसका ध्यान कर रहे है,आपके ऊपर भी कोई और है क्या, इतना सुनते ही ब्रम्हा आनंद में भर गए, तुमने भगवान की याद दिलादी,मैं स्वतंत्र करता नही हूं, प्रसंसा सब झूठी है ,जो हमारे अंदर गुण है वो सब भगवान का है, बड़ाई किसकी होनी चाहिए भगवान की ,पर हमारे भगवान स्वयं बताते है,परमात्मा है पर स्वयं श्रेय नहीं लेते, नही तो हम श्रेय लेने लग जायेंगे , राम जी लंका विजय कर के आए तो क्या बोले।

ये सब सखा सुनहु मुनि मेरे,भए समर सागर बहू तेरे।।
बंदर भालू मन में सोचने लगे ,राम जी ने सारा श्रेय तो हमे ही देदिये,बंदरो ने कहा ये ठीक नही बोल रहे है राम जी,एक राक्षस पर बीस बंदर पड़ के मार दिया तो कौन सी बड़ी बात हो गई, बड़े बड़े अतिकाय,अकम्पन, नरंतक,देवांतक,मेघनाद, कुम्हकर्ण,ऐसे योधा जब आए तो बंदर भागने लगे,इन असुरो को तो राम जी ने मारा। सारा श्रेय राम जी का है,राम जी ने फिर, सारा श्रेय गुरु जी को दिया,
गुरु वशिष्ठ कुल पूज्य हमारे,इनकी कृपा दनुज रण मारे।
हम लोग स्वीकार कर ले तो सारे दोसो का खजाना अहंकार है, उस अहंकार से बच जायेंगे।
ब्रम्हा कहते है तुम हमारे भगवान के बारे में नही जानते इसीलिए मेरी झूठी बड़ाई कर रहे हो, ये सूर्य,अग्नि, ग्रह,नक्षत्र,चंद्रमा, सब भगवान के प्रकाश से प्रकासित होते है,उसी तरह करने कराने वाले श्री नारायण है,हम तो उनके सेवक है।

तस्मै नमो भगवते वासुदेवाय धी मही।।
यन्मायया दुर्जयया मां ब्रुवंतिम जगद्गुरूम।।

इसलिए जो प्रसंसा करनी है नारायण की करो।

वही गंगापुत्र जी महाराज ने कथा में आगे बताते हैं कि हे परिक्षित इंद्रियों को निग्रहित करना बड़ी कठिन है,आप आंख बन्द कर के बैठो और कोई पीछे खड़ा हो, पता चल जाता है,कोई पीछे खड़ा है,इंद्रियों के अपेक्षा मन सुक्ष्म है,जैसे गीता में अर्जुन ने भगवान से पूछा।

चंचलम ही मन: कृष्णम, भगवान ने एक वाक्य में कह दिया, अभ्यासे न तू कौंतेय वैरागे न च गृहयते।

अब क्या करे इंद्रियों को निग्रह किया नही जा सकता, मन को निग्रह किया नही जा सकता, चित को समाहित किया नही जा सकता,बुद्धि भगवान में लग नही रही है, अब जीव करे क्या,
ब्रम्हा जी कह रहे है ,बस भगवान को हृदय में बिठालो, भगवान बैठेंगे कैसे जैसे संसारियो के साथ रहते संसार मन में बैठ गया वैसे ही , भगवान एवम भक्तो का साथ करते करते मन में भगवान बैठ जायेंगे, भगवान श्रवण मार्ग से हृदय में बैठते है,ब्रम्हा कहते है मैने भगवान के नाम,रूप,लीला धाम का आश्रय लिया और भगवान हृदय में बैठ गए,भगवान की माया से बचना है तो भगवान के चरणो मे चले जाओ। माम एव ये प्रपद्यंते माया मेताम तरंतीते।

इस मौके पर कृष्णानंद राय ,विजय बहादुर राय, अरुण राय, अजय राय ,सनत कुमार राय, सुमंत पांडे ,सुभाष पांडे ,सत्यनारायण राय ,दिनेश राय ,प्रेम प्रकाश राय ,रजनीश राय ,वीरेंद्र राय ,मार्कंडेय राय ,रोजगार सेवक,
अभय लाल ,प्रधान,शिवानंद यादव ,घर भरण वर्मा सहित कई स्थानीय श्रद्धालु उपस्थित रहे।


................. ................. ............... ..............
Send us news at: buxaronlinenews@gmail.com

ख़बरें भेजें और हम पहुंचाएंगे, 
आपकी खबर को सही जगह तक.... 





 

Post a Comment

0 Comments

Close Menu