(बक्सर ऑनलाइन न्यूज़):- एकीकृत बाल विकास सेवा (आईसीडीएस) विभाग के निर्देश पर हर माह की 19 तारीख को छह माह पूर्ण कर चुके बच्चों का अन्नप्राशन दिवस मनाया जाता है। जिसके तहत बुधवार को जिले के सभी प्रखंडों में अन्नप्राशन कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस दौरान जिले के सभी सेविकाओं ने अपने-अपने पोषक क्षेत्र के छह माह की उम्र पार करने वाले बच्चों का अन्नप्राशन कराया और बच्चों की माताओं को शिशुओं के 6 माह पूरे होने के बाद ऊपरी आहार की विशेषता बताई गयी। माताओं को अन्नप्राशन के महत्व की विस्तार से जानकारी दी गयी। ताकि, बच्चे की स्वस्थ शरीर का सम्पूर्ण निर्माण हो सके। वहीं, बच्चों के सर्वांगीण शारीरिक और मानसिक विकास के लिए उचित पोषण की जानकारी दी गई और कुपोषण मुक्त समाज निर्माण को लेकर जागरूक किया गया।
ऊपरी आहार के साथ दो वर्षों तक स्तनपान भी जरूरी :
जिला कार्यक्रम पदाधिकारी तरणि कुमारी ने बताया, अन्नप्राशन में शामिल शिशुओं की माताओं को बच्चे के स्वस्थ शरीर निर्माण को लेकर आवश्यक जानकारियां दी गई। जिसमें बताया कि बच्चों को अन्नप्राशन के साथ कम से कम दो वर्षों तक स्तनपान भी कराएं और छह माह तक सिर्फ स्तनपान ही कराएं। जिससे बच्चे का स्वस्थ शरीर निर्माण हो पाएगा। इसके अलावा 6 माह से ऊपर के बच्चों के अभिभावकों को बच्चों के लिए पूरक आहार की जरूरत के विषय में जानकारी दी गयी। 6 माह से 9 माह के शिशु को दिन भर में 200 ग्राम सुपाच्य मसला हुआ खाना, 9 से 12 माह में 300 ग्राम मसला हुआ ठोस खाना, 12 से 24 माह में 500 ग्राम तक खाना खिलाने की सलाह दी गयी। इसके अलावा अभिभावकों को बच्चों के दैनिक आहार में हरी पत्तीदार सब्जी और पीले नारंगी फल को शामिल करने की बात बताई गयी। चावल, रोटी, दाल, हरी सब्जी, अंडा एवं अन्य खाद्य पदार्थों की पोषक तत्वों के विषय में चर्चा कर अभिभावकों को इसके विषय में जागरूक किया गया।
पौष्टिक आहार की महत्ता की दी गई जानकारी :-
डुमरांव प्रखंड में स्थित कोड संख्या 47 की सेविका लीलावती देवी ने बताया, बच्चों के विकास में आहार की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। साथ ही, शिशु के जन्म के एक घंटे के भीतर मां का गाढ़ा-पीला दूध बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। अगले छह माह तक केवल मां का दूध बच्चे को कई गंभीर रोगों से सुरक्षित रखता है। छह माह के बाद बच्चे का शारीरिक एवं मानसिक विकास काफी तेजी से होता है। इस दौरान स्तनपान के साथ ऊपरी आहार की काफी जरूरत होती है। घर का बना मसला व गाढ़ा भोजन ऊपरी आहार की शुरुआत के लिए जरूरी होता है। वहीं, कहा कि सामान्य प्रसव के लिए गर्भधारण होने के साथ ही महिलाओं को चिकित्सकों से जांच कराना चाहिए और चिकित्सा परामर्श का पालन करना चाहिए।
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