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विशेष पुनरीक्षण के खिलाफ महागठबंधन ने किया चक्का जाम, कहा- गरीबों को मताधिकार से वंचित करने की हो रही साजिश



बक्सर । वोटर लिस्ट के गहन पुनरीक्षण अभियान के खिलाफ विपक्ष का चक्का जाम असरदार रहा। महागठबंधन के नेताओं ने शहर के ज्योति चौक को पूरी तरह जाम कर दिया। करीब दो घंटे तक वाहनों के पहिए नहीं हिले। चौराहे पर सदर विधायक मुन्ना तिवारी, राजपुर विधायक विश्वनाथ राम और डुमरांव विधायक डॉ अजीत कुशवाहा के साथ महागठबंधन के घटक दलों के सैकड़ों लोग बैठे रहे।


इस बीच वोटबंदी का आदेश वापस लो और विशेष गहन पुनरीक्षण वापस लो जैसे नारे भी लग रहे थे। इस दौरान सदर विधायक मुन्ना तिवारी ने कहा कि पूरे बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान के खिलाफ लोगों ने सड़क पर उतर कर यह साबित कर दिया कि इसकी कोई गुंजाइश नहीं। जनता ने इसे खारिज कर दिया। विशेष गहन पुनरीक्षण और मजदूर विरोधी चार नए श्रम कानूनों के खिलाफ सभी विपक्षी दलों और संगठनों ने ज्योति चौक पर चक्का जाम किया।

डुमरांव विधायक डॉ अजीत कुशवाहा ने विशेष मतदाता पुनरीक्षण अभियान को जनता के खिलाफ बताते हुए कई आपत्तियां उठाई। उन्होंने कहा कि यह चुनाव आयोग का तानाशाही फरमान है जो गरीबों, दलितों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों, प्रवासी मजदूरों को वोट देने से रोकने की साजिश है। इसके खिलाफ आज पूरा बिहार सड़कों पर उतर गया है। जो कागज लोगों के पास उपलब्ध हैं, जिससे उनका अन्य सारा काम हो रहा है जैसे आधार कार्ड, पैन कार्ड, राशन कार्ड, मतदाता पहचान पत्र, मनरेगा कार्ड सभी को चुनाव चुनाव आयोग ने अवैध घोषित कर दिया है। और जो कागज नहीं है जन्मप्रमाणपत्र, पासपोर्ट या अन्य सरकारी दस्तावेज मांगा जा रहा है। बिहार जैसे राज्य में गरीब, दलित और प्रवासी श्रमिकों के लिएइन दस्तावेजों को जुटाना मुश्किल है। विशेष रूप से, 2003 के बाद मतदाता सूची में शामिल लोगों को अपनी नागरिकता साबित करने के लिए दस्तावेज जमा करने होंगे, जो कई लोगों के लिए असंभव है। ऐसे में जान बूझकर मतदाता सूची से विपक्षी समर्थकों, गरीब, दलित, और अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों के नाम हटाने की साजिश की जा रही है।



विपक्षी नेताओं ने कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव में इस्तेमाल की गई मतदाता सूची को सही माना गया था, फिर अचानक इसे अवैध कैसे घोषित किया जा सकता है। यह एनआरसी को लागू करने का गुपचुप प्रयास है, जो अल्पसंख्यकों और गरीबों को निशाना बना रहा है। इतने कम समय में 7.75 करोड़ मतदाताओं की जांच असंभव है। पूर्व सांसद तेजनारायण सिंह, पूर्व राज्यसभा सांसद नागेंद्र नाथ ओझा, राजद जिलाध्यक्ष शेषनाथ सिंह, कामेश्वर पांडेय, बबलू यादव, भरत सिंह, लालबाबू यादव, सत्येंद्र यादव, टीएन चौबे, श्वेता पाठक, पूजा कुमारी, आनंद रंजना, कृष्णावतीदेवी, निर्मल कुशवाहा, व्रजबिहारी सिंह, उमेश कुमार यादव, मनोज ठाकुर, धर्मराज चौहान, आफताब आलम, गौरीशंकर यादव, शिवबचन सिंह, श्रीभगवान चौधरी, बच्चालाल चौधरी, डॉ एस के सैनी, ददन पासवान, श्रीकांत सिंह यादव, वीरेन्द्र यादव, भुट्टो खान, संतोष भारती, रामाशंकर कुशवाहा, राजेंद्र मौर्य, धनपति चौधरी, सत्येंद्र आजाद, गणपति मंडल, निर्मला देवी, राजाराम पांडेय, भोला ओझा, विनय सिंह, संजय पांडेय, पंकज उपाध्याय, लक्ष्मण उपाध्याय, त्रिलोकी नाथ मिश्रा, शमशेर शर्मा, जवाहर पासवान, केदार यादव, भगवती, इफ्तखर अहमद प्रसाद, जगनारायण यादव, ब्रह्मेश्वर चौहान, ओमप्रकाश माली, लालजी राम, हीरामन राम, राजू यादव, गुड्डू यादव, वीरेन्द्र राय, यादव, हरेंद्र कुमार सिंह, शशि एसके के सैनी सैनी सहित महागठबंधन के घटक दलों के कई कार्यकर्ता मौजूद रहे।





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