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रामनवमी पर पहली बार बक्सर में हुई हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा, विश्वामित्र सेना ने किया आयोजन,सभी धार्मिक स्थलों एवं श्रद्धालुओं पर बरसाए फूल


राज कुमार चौबे बोले – बक्सर की गरिमा को फिर से दिलाएंगे वैश्विक पहचान

बक्सर । रामनवमी के पावन अवसर पर ऐतिहासिक नगरी बक्सर ने पहली बार एक ऐसा दृश्य देखा जिसने श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक भाव से भर दिया। विश्वामित्र सेना द्वारा नगर में हेलीकॉप्टर से भव्य पुष्पवर्षा की गई। इस अद्वितीय आयोजन में बक्सर की गलियों और धार्मिक स्थलों पर गुलाब, गेंदा और अन्य रंग-बिरंगे फूलों की वर्षा ने एक दिव्य वातावरण उत्पन्न कर दिया। आयोजन का नेतृत्व विश्वामित्र सेना के राष्ट्रीय संयोजक राज कुमार चौबे ने किया, जो स्वयं हेलीकॉप्टर में सवार होकर पुष्पवर्षा कर रहे थे।



राज कुमार चौबे ने इस आयोजन को प्रभु श्रीराम और महर्षि विश्वामित्र का आशीर्वाद बताया। उन्होंने कहा, “यह आयोजन मेरे व्यक्तिगत प्रयासों का परिणाम नहीं, बल्कि प्रभु श्रीराम और महर्षि विश्वामित्र की कृपा का प्रतीक है। मेरा संकल्प है कि मैं बक्सर की सांस्कृतिक और धार्मिक गरिमा को पुनः स्थापित करूं, ताकि यह नगर फिर से विश्व मानचित्र पर अपनी पहचान बनाए।”

पुष्पवर्षा की यह ऐतिहासिक पहल केवल एक धार्मिक क्रिया तक सीमित नहीं रही, बल्कि इससे सनातन संस्कृति को भी बल मिला। राज कुमार चौबे ने हर पड़ाव पर शोभायात्रा के साथ चल रहे श्रद्धालुओं पर फूल बरसाकर धर्म और परंपरा के प्रति सम्मान प्रकट किया। बक्सर के ऐतिहासिक घाटों, प्रमुख मंदिरों और रामनवमी की शोभायात्रा के मार्गों पर फूलों की वर्षा ने श्रद्धालुओं को भाव-विभोर कर दिया।


नगरवासियों के लिए यह दृश्य बिल्कुल नया और उत्साह से भर देने वाला था। बच्चे, बुजुर्ग और युवा सभी अपने-अपने घरों से निकलकर इस दृश्य को देखने सड़कों पर उमड़ पड़े। ढोल-नगाड़ों की धुन, जय श्रीराम के जयघोष और पुष्पवर्षा ने मिलकर वातावरण को त्रेतायुग जैसा बना दिया। मानो प्रभु श्रीराम स्वयं अपने जन्मोत्सव पर अपनी कर्मभूमि बक्सर पधारे हों।

विश्वामित्र सेना की यह पहल एक सांस्कृतिक आंदोलन के रूप में भी देखी जा रही है, जिसमें धार्मिक भावना के साथ-साथ क्षेत्र के गौरव और पहचान को पुनः जागृत करने का प्रयास किया गया है। आयोजन की सफलता से प्रेरित होकर राज कुमार चौबे ने भविष्य में और भी व्यापक स्तर पर कार्यक्रम करने की घोषणा की।

इस भव्य आयोजन के जरिए बक्सर न केवल धार्मिक भावना से ओत-प्रोत हुआ, बल्कि यहां की सांस्कृतिक विरासत को भी नई पहचान मिली। रामनवमी के इस शुभ अवसर पर बक्सरवासियों ने धर्म, परंपरा और गौरव का अनूठा संगम देखा, जिसे वे वर्षों तक स्मरण रखेंगे।



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