बक्सर । राज्य में डॉक्टरों ने बिहार हेल्थ सर्विस संगठन के आह्वान पर तीन दिनों के लिए ओपीडी सेवाओं का बहिष्कार शुरू कर दिया है। इस हड़ताल से पूरे राज्य में मरीजों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। चौसा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में गुरुवार को कुत्ते के काटने से प्रभावित 12 मरीज एंटी रैबीज इंजेक्शन लेने आए थे, लेकिन हड़ताल की वजह से उन्हें बिना इलाज के वापस जाना पड़ा। न्यायीपुर के शिवशंकर कुमार, जिन्हें कुत्ते ने काटा था, अब या तो अगले दिन फिर से आना होगा या बाहर से महंगा इंजेक्शन खरीदना पड़ेगा।
बक्सर जिला अस्पताल के डॉक्टर विमल कुमार ने बताया कि उनकी मुख्य मांगें हैं – अस्पतालों में डॉक्टरों, ड्रेसरों और फार्मासिस्टों की कमी को पूरा करना, साथ ही डॉक्टरों के लिए सरकारी आवास और अपने गृह जिले में पोस्टिंग की सुविधा। हड़ताल के दौरान इमरजेंसी सेवाएं चालू रखी गई हैं ताकि गंभीर मरीजों को दिक्कत न हो।
बिहार स्वास्थ्य सेवा संघ के सचिव डॉ. संजय कुमार ने कहा कि शिवहर, गोपालगंज और मधुबनी जैसे जिलों में जिलाधिकारियों ने बायोमेट्रिक के आधार पर कई महीनों से डॉक्टरों का वेतन रोक रखा है। इसके अलावा, राज्य भर में डॉक्टरों को लगातार परेशान किया जा रहा है, जिससे बिहार के चिकित्सकों में गहरा गुस्सा है। हड़ताल की वजह से अस्पतालों में मरीजों की भीड़ बढ़ रही है और गरीब मरीजों को मजबूरन निजी अस्पतालों का सहारा लेना पड़ रहा है, जिससे उनकी आर्थिक परेशानी बढ़ रही है। मरीजों और उनके परिवारों ने सरकार से जल्दी हल निकालने की गुहार लगाई है ताकि स्वास्थ्य सेवाएं फिर से सामान्य हो सकें।
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