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भव्य कलशयात्रा के साथ 108 कुंडीय शक्ति संवर्धन गायत्री महायज्ञ का हुआ शुभारंभ


बक्सर । शहर के आइटीआइ मैदान में 108 कुंडीय शक्ति संवर्धन गायत्री महायज्ञ का भव्य शुभारंभ कलश यात्रा के साथ हुआ। इस आध्यात्मिक आयोजन से गायत्री नगर से लेकर आइटीआइ मैदान तक का वातावरण भक्तिमय हो गया। प्रातः काल से ही शक्ति पीठ और यज्ञ स्थल पर धार्मिक अनुष्ठानों का आरंभ हो गया। सर्वप्रथम, शक्ति पीठ में ब्रह्म मुहूर्त में दैनिक यज्ञ में गायत्री मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र से हवन किया गया। इसके पश्चात, सविता देवता की पूजा और आरती के साथ, साधकों को यज्ञ के दौरान गायत्री मंत्र के जाप का संकल्प दिलाया गया। 

साधकगण उसी क्षण से अपने संकल्प को पूर्ण करने में जुट गए। उधर आइटीआइ मैदान में यज्ञ कुंडों का विधिपूर्वक पूजन किया गया। प्रारंभिक पूजा और कलश शक्ति की स्थापना के अंतर्गत, पूजन-पाठ करके कलश यात्रियों का शुद्धिकरण संपन्न हुआ। फिर, भव्य गाजे-बाजे के साथ कलश यात्रा का शुभारंभ हुआ।

नारी शक्ति का अद्भुत प्रदर्शन कलश यात्रा की शोभायात्रा में नारी शक्ति का उत्कृष्ट प्रदर्शन किया गया। बालिकाओं ने वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई के रूप में जीवंत झांकी प्रस्तुत की। झांसी की रानी के वेश में एक बालिका रथ पर सवार होकर कलश यात्रा का नेतृत्व कर रही थीं। इस दौरान, सैकड़ों महिलाओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। उनके पीछे, माता गायत्री की प्रतिमा स्वरूप एक बालिका रथ पर विराजमान थीं।

वेद मंत्र के रूप में सुविख्यात गायत्री मंत्र की ध्वनि पूरे मार्ग में गूंजती रही, वातावरण को पवित्र कर रही थी। कलश यात्रा, यज्ञ स्थल से प्रारंभ होकर चौसा-बक्सर मुख्य मार्ग से गुजरी। यह यात्रा कॉलेज गेट, पुलिस चौकी से होते हुए रामरेखा घाट तक पहुंची। वहां, कलश पात्रों में जल भरने के उपरांत, सभी श्रद्धालु पुलिस चौक, ज्योति चौक होते हुए, पईन रोड से आइटीआइ मैदान स्थित यज्ञ स्थल तक वापस पहुंचे। फिर कलशों को यज्ञ स्थल पर स्थापना के लिए विश्राम दिया गया।

इस सम्बंध में यज्ञ के मुख्य आयोजक रामानंद तिवारी ने बताया कि यह शक्ति संवर्धन यज्ञ विश्व कल्याण के लिए आयोजित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह वेदगर्भापुरी भूमि पर एक सौ आठ कुंडीय गायत्री महायज्ञ हो रहा है, जिसके साक्षी स्वयं गायत्री मंत्र के द्रष्टा ऋषि विश्वामित्र हैं। उन्होंने कहा कि इस यज्ञ में भाग लेने वाले स्वयं को भाग्यशाली समझें, जो ऐसे दुर्लभ यज्ञ के साक्षी बन रहे हैं। यज्ञ स्थल पर हवन सामग्री के साथ-साथ सद्द्घाहित्य का भी स्टाल लगाया गया है। आज से इस यज्ञ में हवन भी प्रारंभ हो जाएगा। इसके अतिरिक्त, डा. चिन्मय पांड्या जी अपने मुखारविंद से प्रवचन और सद्विचार रूपी अमृत का पान भी कराएंगे।


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