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भ्रष्टाचार को दबाने के लिए पत्रकारों पर FIR और नोटिस कराने वाला परिवहन विभाग बड़े घोटाले को लेकर फिर आया सुर्खियों में, चेकपोस्ट बंद होने के बावजूद जरनेटर के नाम पर 20 हजार प्रतिमाह होता रहा भुगतान-dto-buxar



बक्सर । जिला परिवहन विभाग से जुड़े भ्रष्टाचार के तरह-तरह के मामले नित नए दिन प्रकाश में आ रहे हैं जो नीतीश सरकार के सुशासन के पोल खोल रहे हैं. विगत अक्टूबर माह में हाइवे पर डीटीओ की गाड़ी से अवैध वसूली करते वर्दीधारियों का वीडियों देश-दुनिया के तमाम मीडिया चैनलों का हेडलाइन बना था जिसके बाद जब जिलाधिकारी द्वारा जांच का आदेश जारी किया गया तो दोषियों पर कार्यवाई न करके भ्रष्टाचार दिखाने वाले पत्रकारों को डराने के लिए जिला परिवहन विभाग के द्वारा नोटिस भेजने से लेकर फर्जी मुकदमा दर्ज कराने का पुरजोर कोशिश किया गया. हालांकि, पत्रकार यूनियन के जिलाध्यक्ष डॉ शशांक शेखर ने इसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया और राष्ट्रीय प्रेस दिवस के मौके पर पत्रकारों के खिलाफ हो रहे सिस्टम के दुरुपयोग का मामला जिलाधिकारी अंशुल अग्रवाल के समक्ष मजबूती से रखा. 



वही,परिवहन विभाग का एक बड़ा घोटाला फिर से प्रकाश में आया है. देश के प्रतिष्ठित अखबार प्रभात खबर के पड़ताल में कई साक्ष्य प्राप्त हुए है जिससे जिला परिवहन विभाग सुर्खियों में आ गया है.

प्रभात खबर में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक शहर के गोलंबर से सटे गंगा ब्रिज के पास बना जिला परिवहन विभाग का चेकपोस्ट दो साल से अधिक समय से बंद है. चेकपोस्ट के लिए बने कमरे में ताला लटका रहता है. अंदर खाली पड़ी कुर्सियों पर धूल की मोटी परत जम गयी है. इसके बाद भी यहां जेनरेटर के नाम पर हर माह 20 हजार रुपये का भुगतान किया जा रहा है. इससे पहले चोकपोस्ट बंद होने के कारण तत्कालीन डीटीओ विकास जायसवाल ने 8 जुलाई 2022 से लेकर 4 सितंबर 2023 तक चेकपोस्ट पर जेनरेटर के मद में भुगतान पर रोक लगा दी थी. उनका कहना था कि चेकपोस्ट पर पहले जो कर्मचारी प्रतिनियुक्त थे, उन सभी की ड्यूटी डीटीओ ऑफिस में कर दी गयी है. अब ऑनलाइन ही परिवहन विभाग का काम होता है, इसलिए इस चेकपोस्ट पर जनरेटर काक कोई उपयोग नहीं है.


हालांकि, चार सितंबर 2023 के बाद नये डीटीओ संजय कुमार के आने के बाद फिर से भुगतान शुरू कर दिया गया. बता दें कि शहर के गोलंबर के पास बने गंगा ब्रिज के इस तरफ बिहार, तो दूसरी तरफ यूपी पड़ता है. दो राज्यों की सीमा होने के कारण यहां पर परिवहन विभाग का चेकपोस्ट बनाया गया था. हालांकि, डीएम के यहां शिकायत पहुंचने लगी कि चेकपोस्ट पर रात के अंधेरे में परिवहन विभाग के सिपाही वाहन जांच के नाम पर अवैध वसूली करते हैं. यदि ट्रक चालक रुपये नहीं होने की बात कहते थे, तो खाते में ऑनलाइन रुपये मंगा लिये जाते थे. इसके बाद डीएम अंशुल अग्रवाल की अध्यक्षता में प्रशासनिक अधिकारियों की बैठक में डीटीओ को निर्देश दिया गया था कि रात में यहां वाहन जांच नहीं करना है.


इस मामले में प्रभात खबर को डीटीओ संजय कुमार द्वारा दिए गए अपने पक्ष में बताया गया कि चेकपोस्ट के बगल में संतरी लोग रहते हैं. वहां जांच में पकड़े गये वाहन खड़े किये जाते हैं. उसी की देखरेख करने वाले संतरी के लिए जेनरेटर चलता है. पूर्व के डीटीओ के समय राशि का भुगतान किया गया कि नहीं, यह रिकॉर्ड देखने पर पता चलेगा.





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