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चौथी पुण्यतिथि पर याद किए गए हिंदी साहित्य के प्रख्यात विद्वान स्व. हरिनन्दन कुँवर,साहित्यकारों ने दी श्रद्धांजलि- buxar-bihar


बक्सर । डुमराँव नगर के ईश्वर सिंह की गली स्थित उनके आवास पर नगर के साहित्यकारों व अन्य नागरिकों की बैठक हुई. जिसकी अध्यक्षता प्रलेस के जिलाध्यक्ष डॉ बीएल प्रवीण ने की. बैठक में बक्सर से आए पत्रकार डॉ शशांक शेखर उपाध्याय ने अपने छात्र जीवन की चर्चा करते हुए बताया कि हरिनंदन कुंवर जिन आदर्शों के साथ चलते थे, वैसा आज कहीं भी नहीं दिखता. ठीक इसी तरह की बात डॉ मनीष कुमार शशि ने भी बतायी. डॉ शशि ने बताया कि हरिनंदन कुंवर ने दो पुस्तकें भी लिखीं, अंतरिक्ष से पहले (नाट्य पुस्तक) तथा निबंध रश्मि. 



सेवानिवृत अंग्रेजी के प्राध्यापक शशि कांत त्रिपाठी ने बताया कि कुंवर जी अक्सर महादेवी वर्मा, हजारी प्रसाद द्विवेदी, रामचंद्र शुक्ल और दिनकर जैसे साहित्यत्यिक विभूतियों की चर्चा उनकी रचनाओं के माध्यम से किया करते थे. उनके समय की स्थानीय दिवंगत साहित्यिक बिरादरी की चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि स्वयं उनके पिता आचार्य अम्बिका दत्त त्रिपाठी व्यास, सत्यनारायण सौरभ, पांडेय कमल, मौजी जी, शैदा जी, मुफलिस जी, महेन्द्र पाण्डेय आदि लोग बैठक किया करते थे. 


मीरा सिंह मीरा ने अपनी कविता सुनाई 'लोग बनाते हैं घर दुनिया में, कुछ भी अमर नहीं दुनिया में'. इस दौरान श्रद्धा सुमन अर्पित करने वालों में क्रमशः विमलेश पांडेय, मिथिलेश कुमार राय, खुर्शीद आलम, मोहन गुप्ता, अंजनी कुमार ओझा, अजय कुमार सिंह, सारिका चौधरी, विश्वनाथ मिश्र, रविन्द्र प्रसाद, परवेज खान आदि मौजूद थे.





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