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बड़ी मठिया के जमीन हड़पने की फिराक में लगे असमाजिक तत्वों के मंसूबे हुए नाकाम,प्रबंध और प्रशासनिक समितियों को न्यायालय ने किया निरस्त- buxar-bihar



बक्सर । "बड़ी मठिया की संपत्ति पर कुछ असामाजिक तत्वों ने गिद्ध दृष्टि लगाई थी लेकिन अब उन्हें मुंह की खानी पड़ी है. न्यायालय ने उनकी साजिशों को नाकाम कर दिया है." यह कहना है बक्सर के रामरेखा घाट स्थित बड़ी मठिया के महंत के कानूनी सलाहकार अधिवक्ता केदारनाथ यादव का. उन्होंने बताया कि अलग-अलग साजिशें से रच कर तथा धार्मिक न्यास परिषद को भ्रमित कर कुछ लोगों के द्वारा प्रबंध समिति बनाई गई थी लेकिन न्यायालय के द्वारा प्रबंध समिति के साथ-साथ प्रशासनिक को भी तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया गया है.


उन्होंने बताया कि रामरेखा घाट बड़ी मठिया के समीप प्लॉट संख्या 1062 पर कुछ लोग सर्विसिंग सेंटर खोलने की इच्छा रखते थे, जिसको लेकर उन्होंने महंत चंद्रमा दास से संपर्क किया लेकिन उन्होंने बताया की नगर परिषद क्षेत्र में वैधानिक दृष्टिकोण से सर्विसिंग सेंटर नहीं खोला जा सकता, इसके साथ ही यदि गंगा के तट पर सर्विसिंग सेंटर खोला जाता है तो वाहनों से निकली हुई सारी गंदगी माता गंगा के जल को अपवित्र करेगी. ऐसे में यह भी उचित नहीं है लेकिन यह लोग उसके बाद भी नहीं माने वह लोग अब जबरन पैसों की मांग करने लगे. बाद उन्होंने यह कहा कि उन्हें चूड़ी मार्केट में दो दुकानें दी दे दी जाए. जब महंत के द्वारा इनकार किया गया तो यह सभी लोग अलग-अलग आरोप-प्रत्यारोप करने लगे और फिर धार्मिक न्यास परिषद में भी पहुंच गए.


अधिवक्ता के मुताबिक धार्मिक न्यास परिषद ने यह पाया कि जो लोग शिकायत लेकर गए थे वह मठिया के हितबद्ध नहीं हैं, बल्कि अपने निजी स्वार्थ में पहुंचे हुए हैं. ऐसे में उनकी बातों को सिरे से खारिज कर दिया गया, लेकिन धार्मिक न्यास परिषद के अध्यक्ष ने महंत चंद्रमा दास की उम्र 70 साल से अधिक होने के कारण महंत के अनुशंसा पर एक पांच सदस्यीय सहयोग समिति बनाने का निर्देश दिया. हालांकि बाद में किसी प्रभाव में आकर धार्मिक न्यास परिषद ने ही एक न्यास समिति बना दी, लेकिन बक्सर व्यवहार न्यायालय के अपर जिला सत्र न्यायाधीश चतुर्थ की न्यायालय से उस समिति को निरस्त कर दिया गया. फिर उन लोगों ने एक प्रबंध समिति बना दी उसको भी न्यायाधीश के द्वारा निरस्त कर दिया गया. बाद में अपर जिला सत्र न्यायाधीश चतुर्थ के द्वारा एक प्रशासनिक समिति बना दी गई जिसमें जिला पदाधिकारी, अनुमंडल पदाधिकारी आदि को रखा गया था.




प्रशासनिक समिति के विरुद्ध उच्च न्यायालय पहुंचे महंत :

बाद में महंत इस फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में गए. उनकी यह दलील थी कि बड़ी मठिया के फैसले में किसी भी प्रकार का बाहरी हस्तक्षेप उचित नहीं है. जहां से उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने निचली अदालत के फैसले पर रोक लगा दी तथा पूर्व की सभी प्रकार की समितियां को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया गया.

उच्च न्यायालय ने लगाई फटकार :

अधिवक्ता ने बताया कि पटना उच्च न्यायालय ने उन लोगों को फटकार लगाई जो जनहित याचिका का नाम देकर बार-बार न्यायालय में मठिया का मामला लेकर पहुंचते थे. न्यायालय ने स्पष्ट कहा कि वह लोग जनहित नहीं बल्कि सहित याचिका लेकर आ रहे हैं ऐसे में वह दोबारा ना आए.

हमारी सच्चाई देखकर न्यायालय ने की मदद :

महंत चंद्रमा दास बताते हैं कि कुछ असामाजिक तत्व जमीन पैसा अथवा दुकान की मांग लेकर बार-बार उन्हें तंग करते हैं. उनका यह कहना है कि यदि वह उन्हें दुकान अथवा पैसे आदि नहीं देंगे तो मठिया में किसी को रहने नहीं देंगे. एक बार उन्हीं लोगों ने एक महिला को लाकर जबरन मठिया में रख दिया था जो मठिया के लोगों को परेशान करने लगे, जिसे बाद में अनुमंडल पदाधिकारी के सहयोग से हटाया गया. एक बार इन लोगों ने मारपीट की भी कोशिश की, लेकिन न्यायालय ने आज हमारी सच्चाई देखकर ही हमारे पक्ष में फैसला दिया.






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