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पंचायतों में टेंडर प्रक्रिया से कार्य कराने के खिलाफ गोलबंद हुए मुखिया,नीतीश सरकार के फैसले के विरुद्ध सिमरी में जताया आक्रोश- nitish-government-bihar



बक्सर । नीतीश सरकार ने ग्राम पंचायत के कार्यो के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू करने का फैसला लिया है जिसके बाद फैसले का विरोध भी होने लगा। सिमरी में इसका असर देखने को मिला जहाँ टेंडर द्वारा पंचायतों के काम कराए जाने के खिलाफ प्रखंड मुखिया संघ ने डुमरी मुखिया प्रेमसागर कुँवर की अध्यक्षता में आक्रोश जताया। इस मौके पर काजीपुर मुखिया इम्तियाज अंसारी,खरहाताड़ मुखिया राजेश यादव,आशापडरी मुखिया दीपनारायण सिंह समेत विभिन्न पंचायत के दर्जनों मुखिया मौजूद रहे। इस दौरान सभी ने एक स्वर में नीतीश सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।


दरअसल, पंचायतों में 15 लाख से कम की लागत की योजनाओं के लिए भी टेंडर कराने का फैसला नीतीश कैबिनेट ने लिया है। सरकार का मानना है कि इस फैसले से पंचायतों में अब मुखिया और वार्ड सदस्यों की मनमानी पर लगाम लग जाएगी। हालांकि पंचायतों की सरकार ऐसा नहीं मानती है और सरकार के इस निर्णय के विरोध में उतर आई है। सिमरी प्रखण्ड के मुखिया संघ ने साफ कर दिया है कि उन्हें सरकार का यह फैसला मंजूर नहीं है। अध्यक्षता करते मुखिया संघ सह डुमरी पंचायत के मुखिया प्रेम सागर कुँवर ने बताया कि सरकार अपने इस फैसले खुद को ग्रामीण इलाकों में कमजोर कर रही है। जिसका परिणाम उन्हें चुनावों में भुगतना पड़ सकता है। उन्होंने नीतीश कैबिनेट के फैसले को गलत बताया है। उन्होंने पंचायती राज के फैसले को संविधान से मिले अधिकार का उल्लंघन बताया है।


उन्होंने कहा कि ग्राम सरकार का पावर छिनने का अधिकार देश के किसी सरकार को नहीं है। ग्राम सभा में पारित योजनाओं के लिए टेंडर नहीं होता है। मिट्टी भरने, चापाकल लगाने, नाली सफाई जैसे कार्य के लिए अगर टेंडर का इंतजार करेंगे तो छह-छह महीने के लिए इंतजार करना पड़ेगा। आज देश में कहीं भी ग्राम सरकार में निविदा प्रक्रिया नहीं है तो नीतीश सरकार को क्या इसकी जरुरत पड़ी यह समझ से परे है। यहां तक कि अपने इस फैसले को लागू करने से पहले किसी जिला परिषद, किसी मुखिया से न तो बात की गई, न ही उन्हे जानकारी दी गई। यह पूरी तरह से त्रिस्तरीय ग्राम पंचायत व्यवस्था को प्रभावित करने की कोशिश है। यहां अफसरों का राज कायम करने की कोशिश की जा रही है। मुखिया संघ ने सीधी चेतावनी देने हुए कहा कि अगर सरकार ने अपना फैसला वापस नहीं लिया तो प्रदेश स्तर पर सभी संघ के माध्यम से व्यापक हड़ताल किया जाएगा। साथ ही न्यायपालिका का सहारा लिया जाएगा। अगर इसके बाद भी बात नहीं मानी गई तो सभी मुखिया, जिला पर्षद अपना इस्तीफा दें देंगे। मुखिया संघ ने इस दौरान उन एमएलसी को भी चेतावनी दी।



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