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गंगा दशहरा को लेकर बक्सर के प्रमुख गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी- buxar-ganga-river



बक्सर । ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा मनाया जाता है। इस मौके पर श्रद्धालु गंगा स्नान करते हैं। बक्सर में गंगा दशहरा पर गंगा घाट पर स्नान एवं पूजन के लिए भक्तों की भारी संख्या में भीड़ उमड़ पड़ी। सुबह से ही रेलवे स्टेशन से लेकर बस स्टैंड में लोगों की भीड़ जुटने शुरू हो गई। भारी संख्या में लोग शहर के ऐतिहासिक रामरेखा घाट पहुंचे। लोगों ने इस दौरान गरीबों को दान भी दिया। मान्यता है कि इस दिन स्नान और दान से श्रद्धालुओं की सारी मनोकामना पूरी हो जाती है।



बक्सर के रामरेखा घाट पर जुटे श्रद्धालुओं ने मां गंगा की पूजा अर्चना की। श्रद्धालुओं ने मां गंगा को फल और मिष्ठान के अलावा सिंदूर चढ़ाया और सदा सुहागन होने का आशीर्वाद मांगा। बताते चलें कि जेष्ठ महीने के दशमी तिथि को मनाए जाने वाले गंगा दशहरा में गंगा स्नान से बहुत फल मिलता है। इस दिन गंगा स्नान करने के बाद विधिवत रूप से पूजा पाठ करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इसी को लेकर सुबह से ही भारी संख्या में भक्तों की तरह बक्सर के रामरेखा घाट नाथ घाट सहित कई अन्य घाटों पर उमड़ पड़ी। जहां की लोगों ने गंगा में डुबकी लगाई।


गंगा दशहरा मनाने के पीछे एक पौराणिक कहानी है। कहा जाता है कि इसी दिन मां गंगा ने पृथ्वी पर अवतार लिया था। इसी दिन मां गंगा शिव की जटा से प्रवाहित होते हुए धरती पर उतरीं। मान्यता है कि मां गंगा को धरती पर लाने के लिए राजा भागीरथ ने तप किया था। उन्होंने अपने वरदान में ब्रह्मा जी से मां गंगा को मांग लिया था। एक मान्यता ये भी है कि भागीरथ राजा को अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए मां गंगा की जरूरत थी। उसके बाद भागीरथ के तप से प्रसन्न होकर मां गंगा ने उन्हें कहा कि वे शिवजी से संपर्क करें क्योंकि उनके वेग को शिव की जटा ही रोक सकती है। यदि शिव की जटा से वे निकलेंगी तो उनके वेग की रफ्तार कम होगी और वे धरती पर आ सकती हैं।






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