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पुण्यतिथि पर याद किये गए विकास पुरुष पूर्व मुखिया स्व. श्रीराम ओझा,वक्ताओं ने कहा व्यक्ति नहीं विचार थे स्व. श्रीराम ओझा- buxar-bihar-shriram




बक्सर । व्यक्ति नहीं विचार थे स्व. श्रीराम ओझा जो आज भी लोगों के जेहन में मौजूद है। व्यक्ति मरता है विचार नही, यही वजह है आज चार दशक बाद भी श्रीराम ओझा प्रासंगिक है और लोग उन्हे विकास पुरुष के रूप में याद करते है। उक्त बाते रघुनाथपुर के भूतपूर्व मुखिया स्व. श्रीराम ओझा की पुण्यतिथि पर आयोजित श्रंद्धाजलि सभा सह विचार गोष्टी में दक्षिण बिहार पर्यावरण संरक्षण गतिविधि प्रमुख रमेश पाण्डेय सुदामा जी ने कहा। श्रद्धांजलि सभा में क्षेत्र के कई गणमान्य समाजसेवी,  शिक्षाविद एवं उनके पुराने सहयोगीयों ने सम्मिलित होकर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। 

स्व. श्रीराम ओझा के व्यक्तित्व एवं कृतित्व को याद करते हुवे श्रंद्धाजलि सभा मे उपस्थित लोगों की आंखे नम हो गई। सर्वप्रथम उनके बड़े पुत्र शिवकुमार ओझा ने तैलचित्र पर माल्यर्पण कर एवं दीप जलाकर श्रंद्धाजलि सभा की शरूआत की ततपश्चात सभा को संबोधित करते हुवे  भाजपा ब्रह्मपुर विधानसभा संयोजक शम्भू चंद्रवंशी ने कहा कि श्रीराम ओझा का अंत रघुनाथपुर में एक युग का अंत था। उनके जाने के बाद विकास की धारा रुक सी गई है। सर्वप्रथम विकास का स्वाद रघुनाथपुरवासियों को उन्होंने ही चखाया था। चाहे वो गांव की पहली पक्की सड़क हो, बिजली हो स्कूल हो या हॉस्पिटल। वो भी सत्तर अस्सी के दशक के उस दौर में जब ग्राम पंचायत एवं मुखिया के पास अपना कोई फंड नहीं होता था। सभा मे उपस्थित उनके सहयोगी रहे गोपाल सिंह, भृगुनाथ पांडे, माधव भगत तथा गोबिंदा पाल आदि वक्ताओं ने कहा कि स्वर्गीय ओझा जी बहुआयामी व्यक्तित्व के थे। राजनीति में आने से पहले वो एक शिक्षक थे और स्वस्थ समाज के निर्माण में उनका बहुमूल्य योगदान था। उनका विद्यार्थियों से गहरा स्नेह था। 





गरीब और समाज के निम्न वर्ग को मुख्यधारा में लाने के लिए ही उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया था। वो लगातार तीन टर्म मुखिया रहे और कोई चुनाव नही हारे। वो एकमात्र ऐसे व्यक्ति रहे है जिनके शासनकाल में पुलिस एक बार भी गांव के अंदर नही आई थी, बड़े से बड़े मामले का निपटारा वो स्वयं कर देते थे। पुलिस प्रशासन का भी मानना था कि अपराध नियंत्रण में श्री ओझा जी की बहुत बड़ी भूमिका थी। गरीबों एवं किसानों की बेहतरी के लिए भी श्री ओझा बहुत कार्य किए। सड़क, हॉस्पिटल, बिजली की व्यवस्था के साथ साथ आहर पोखर का निर्माण कराया। अपने घर से ईट देकर कन्या मध्य विद्यालय का निर्माण कराया। यही वजह है की आज चालीस वर्षों के बाद भी उनके आदर्श और सोच जिंदा है और आज भी हर चुनाव में उनका जिक्र होता है। मगर अफसोस कि आज के जनप्रतिनिधि चुनाव के समय उनकी चर्चा तो करते है पर उनके जैसा बनने का प्रयास नही करते है। 


सभा में सबकी सहमति से श्रीराम ओझा मेमोरियल ट्रस्ट के अध्य्क्ष श्री शैलेश कुमार ओझा ने ये निर्णय लिया कि प्रतिभा खोजो अभियान के तहत स्व. श्रीराम ओझा नाम पर इस वर्ष भी क्षेत्र के मेधावी एवं गरीब छात्रों को श्रीराम ओझा मेधा सम्मान दिया जायेगा। बोर्ड परीक्षा के टॉपर छात्र- छात्राओं को जिला, प्रखण्ड एवं पंचायत स्तर पर Student of the Year का चयन कर उन्हें विशेष पुरस्कार एवं प्रशस्ति पत्र दिया जायेगा। 

श्रद्धांजलि सभा मे उच्च न्यायालय के अधिवक्ता रोहित पाठक, पर्यावरण संरक्षण गतिविधि प्रमुख रमेश पाण्डेय सुदामा, सह प्रमुख नित्यानंद ओझा, माधव भगत, गुड्डू पाठक, भृगनाथ पांडे, गोबिंदा पाल, गोपाल सिंह, सकील अहमद, आकाश मिश्र, विशाल सिंह, राकेश कश्यप, आनंद, दिनेश, रामजी साह आदि मौजूद थे।






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