बक्सर का ऐतिहासिक पंचकोशी मेला का कल से हो रहा शुभारम्भ ,पहले पड़ाव में अहिरौली के अहिल्या धाम पहुचेगा श्रद्धालुओ का जत्था।
(बक्सर ऑनलाइन न्यूज़):- बक्सर के ऐतिहासिक पंचकोशी मेले की शुरुआत कल से हो रही है। पंचकोशी के पहले पड़ाव में बक्सर के अहिरौली से मेले की शुरुआत होगी। इस मौके पर दूर दराज से हजारो श्रद्धालु अहिरौली पहुंचेगे और माता अहिल्या के मंदिर में पूजा अर्चना करेंगे। इस दिन अहिरौली पहुंचकर महिला और पुरुष श्रद्धालु माता अहिल्या के मंदिर में दीप जलाते है और सुख समृद्धि की कामना करते है। अहिरौली में स्थित माता अहिल्या का मंदिर काफी प्राचीन है और यही गौतम ऋषि के श्राप से पत्थर बनी अहिल्या को भगवान श्रीराम के चरण स्पर्श से मुक्ति मिली थी। लिहाजा यंहा पहुचने वाले भक्त माता अहिल्या के मंदिर में पूजा पाठ करते है।
बक्सर के अहिलौली स्थित अहिल्या माता के इस मंदिर की एक खास पहचान है। यह पहचान यहां आने वाले श्रद्धालुओं के आस्था से जुड़ी है जिसका नाम है आंचल डांस। जिस किसी दंपत्ति को संतान की चाह होती है वह यहां आकर माता से गुहार लगाती हैं कि यदि उन्हें संतान की प्राप्ति हुई तो वह अपने संतान के साथ अहिल्या माता के दरबार में आंचल डांस करेंगी। इससे उनके संतान को दीर्घायु होने और स्वस्थ रहने का वरदान मिलता है। कुछ इन्हीं मान्यताओं के साथ सदियों से अहिल्या माता के स्थान पर आंचल डांस की परंपरा आज भी कायम है।
प्राचीन काल से ही ऐसी मान्यता है की जब भगवन श्री राम जब बक्सर पहुंचे थे तब पांच जगहों पर गए थे और उन्होंने तरह तरह के पकवान और स्वादिस्ट भोजन किया था। लिहाजा प्रसाद के रूप में पहले दिन और पहले पड़ाव अहिरौली में पुआ बनता है और लोग उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करते है। 13 नवंबर से शुरू होकर 17 नवंबर तक चलनेवालों पंचकोशी मेले के आखिरी दिन लिट्टी चोखा बनाया जाता है और उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। इस दिन देश भर से बक्सर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटती है। बक्सर के पावन धरती से भगवान श्रीराम का ऐसा नाता रहा है जिसकी चर्चा प्राचीन ग्रंथों में भी देखने को मिलता है। पंचकोशी परिक्रमा के अवसर पर बक्सर में देश भर के साधू संतो का जुटान होता है जो आभास करता है कि बक्सर देव नगरी से कम नही है। दरअसल यह बातें गंगा पुत्र श्री त्रिदंडी स्वामी जी महाराज ने कही उन्होंने बताया कि पंचकोसी परिक्रमा को लेकर पूरी तैयारी की गई है और पहला पड़ाव अहिरौली में उनकी मौजूदगी रहेगी। इसके अलावा हुए उन तमाम जगहों पर जाएंगे जहां जहां भगवान श्रीराम पंचकोसी परिक्रमा के दौरान गए थे इस दौरान उन्होंने बक्सर की महत्ता पर भी प्रकाश डाला।
पंचकोशी 5 दिनों तक चलने वाले इस पंचकोशी यात्रा के दौरान सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम किए जाते हैं।पंचकोशी के पांचों पड़ाव पर मेले का भी आयोजन किया जाता है लिहाजा इसकी सुरक्षा को लेकर भारी संख्या में पुलिस बलों की तैनाती की जाती है।गौरतलब है कि बक्सर का पंचकोशी मेला काफी ऐतिहासिक मेला है और सदियों से लोग यहां पहुंचते रहे हैं। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि पड़ाव के अंतिम दिन बक्सर में गंगा स्नान और लिट्टी चोखा का प्रसाद ग्रहण करने के लिए लाखो की संख्या में श्रद्धालु पहुंचेंगे जिनकी सुरक्षा का जिम्मा पूरी तरह से प्रशासन के ऊपर है।
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