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दूसरी डोज ले चुके स्कूली छात्र-छात्राएं छह माह बाद लेंगे टीके की प्रीकॉशनरी डोज- second-dose




- सरकारी और निजी स्कूलों में सत्रों का संचालन कर स्कूली बच्चों को किया जा रहा है टीकाकृत
- टीके के प्रतिकूल प्रभाव को देखते हुए स्कूलों में की जा रही चिकित्सा कर्मियों की तैनाती भी 

बक्सर | कोविड टीके के विभिन्न डोज से वंचित लाभार्थियों को जल्द से जल्द टीकाकृत करने के लिए जिले में नियमित अंतराल पर टीकाकरण का विशेष अभियान चलाया जा रहा है। इस क्रम में पंचायतों के साथ-साथ सरकारी व गैर सरकारी स्कूल आदि शैक्षणिक संस्थानों में सत्र आयोजित कर स्कूली बच्चों को टीकाकृत किया जाएगा। ताकि, स्कूली बच्चों को कोविड संक्रमण के संभावित प्रभाव से बचाया जा सके। साथ ही, टीके के प्रतिकूल प्रभाव (एडवर्स इफेक्ट) को देखते हुए स्कूलों में चिकित्सा कर्मियों की तैनाती भी की जा रही है। ताकि, टीका लेने के बाद यदि किसी बच्चे की तबियत खराब होती है, तो उसका इलाज ससमय किया जा सके। हालांकि, टीका लगाने के पूर्व स्कूली बच्चों व शिक्षकों से संबंधित पूछताछ की जा रही है। हालांकि, अब तक जिले में ऐसी कोई भी सूचना नहीं मिली है।
कई छात्र-छात्राएं अभी भी कोविड टीके का लाभ पाने से वंचित :
सदर प्रखंड के स्वास्थ्य प्रबंधक सह बीसीएम प्रिंस कुमार सिंह ने बताया कि राज्य स्तरीय रैकिंग में 12 से 14 साल के किशोर का टीकाकरण सहित 18 से 59 व 60 साल से अधिक उम्र के लाभुकों को प्रीकॉशन डोज से जुड़ी उपलब्धियों में सुधार लाने की कोशिशें की जा रही हैं । फिलवक्त 12 से 14 तथा 15 से 18 वर्ष के कई छात्र-छात्राएं अभी भी कोविड टीके का लाभ पाने से वंचित हैं। जिसके लिए रणनीति के तहत कार्य किया जा रहा है। अब स्कूलों के बच्चों को भी टीकाकृत किया जा रहा है। ताकि, स्कूली बच्चे का शत-प्रतिशत अच्छादन सुनिश्चित किया जा सके। उन्होंने कहा कि जिन स्कूली बच्चों ने प्रथम तथा दूसरी डोज ले ली है, वे प्रीकॉशनरी डोज लेना न भूलें। दूसरी डोज लेने के छह माह बाद उनको टीके की तीसरी (प्रीकॉशनरी) डोज भी लेनी है।
स्कूल की जिम्मेदारी है बच्चों का टीकाकरण :
इस क्रम में जिला मुख्यालय स्थित नई बाजार सरस्वती विद्यामंदिर में भी टीकाकरण के लिए सत्र का संचालन किया गया। जिसमें लगभग 90 बच्चों को टीके की पहली, दूसरी और प्रीकॉशनरी डोज दी गई। इस संबंध में प्रधानाचार्य सुरेश कुमार मिश्र ने कहा, स्कूलों में टीकाकरण शिविरों का संचालन करना स्वास्थ्य विभाग का सराहनीय प्रयास है। इससे टीके के लिए स्कूली बच्चों को अलग से समय नहीं निकालना पड़ेगा। बच्चे स्कूल प्रबंधन और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की निगरानी में टीककृत हो रहे हैं। यह स्कूल प्रबंधन की नैतिक जिम्मेदारी है। टीका लेने से  बच्चों को कोरोना के प्रभाव से बचाया जा सकेगा।

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