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आहार में बदलाव करने से ही संभव है एनीमिया से बचाव- frontliner




- फ्रंट लाइन वर्कर्स के माध्यम से लक्षणों की पहचान कर तत्काल डॉक्टर्स से करें संपर्क
- लोहे की कड़ाही में सब्जी बनाने से भोजन में आयरन की मात्रा बढ़ जाती है

(बक्सर):-  आज के परिवेश में अनियमित खानपान औैर आहार में बढ़ते फास्टफूड के कारण किसी भी उम्र के लोगों को एनीमिया प्रभावित कर सकती है। अब बच्चों, गर्भवती महिलाओं के साथ किशोर- किशोरियों में भी एनीमिया के लक्षण देखने को मिलते हैं। बदलती जीवन शैली के कारण शरीर में आयरन और अन्य पोषक तत्वों की कमी हो रही है। जिसके कारण लाेग एनीमिया से ग्रसित हो रहे हैं। इससे बचाव के लिए उचित पोषण बेहद जरूरी है। आहार में बदलाव ही इस बीमारी से बचाव के लिए सबसे सरल उपाय है। यह बीमारी खून में पर्याप्त स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाएं यानि हीमोग्लोबिन कम होने से होता है। लक्षण दिखते ही तुरंत इलाज कराएं और चिकित्सा परामर्श का पालन करें। साथ ही, समय पर जांच के लिए अस्पताल जाने एवं चिकित्सकों की सलाह का पालन करना चाहिए। जिससे भविष्य में एनीमिया की समस्या उत्पन्न न हो। 

एनीमिया के दौरान प्रोटीन युक्त खाने का सेवन करें  :
अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. अनिल भट्ट ने बताया, आयरन की कमी के कारण एनीमिया होता है। इसलिए लोगों को इस बीमारी से बचाव के लिए आहार में बदलाव करना होगा। इसके लिए जरूरी है आयरन युक्त आहार, जिसका सेवन करने से बचाव संभव है। एनीमिया की अनदेखी जान पर भारी सकती है। उन्होंने बताया कि एनीमिया के दौरान प्रोटीन युक्त खाने का सेवन करें। जैसे कि पालक, सोयाबीन, चुकंदर, लाल मांस, मूंगफली, मक्खन, अंडे, टमाटर, अनार, शहद, सेब, खजूर आदि। जो कि आपके शरीर की कमी को पूरा करता एवं हीमोग्लोबिन जैसी कमी भी दूर होती है। एनीमिया से बचाव के लिए लौहतत्व युक्त चीजों का सेवन करें। यदि संभव हो, तो सब्जी भी लोहे की ही कड़ाही में बनाएं। लोहे की कड़ाही में सब्जी बनाने से भोजन में आयरन की मात्रा बढ़ जाती है।

गर्भवती महिलाओं में एनीमिया की शिकायत अधिक :
उन्होंने बताया कि एनीमिया बीमारी के शुरुआती लक्षण थकान, कमजोरी, त्वचा का पीला होना, दिल की धड़कन में बदलाव, सांस लेने में तकलीफ, चक्कर आना, सीने में दर्द, हाथों और पैरों का ठंडा होना, सिरदर्द, त्वचा सफेद दिखना आदि है। ऐसा लक्षण दिखने पर ससमय इलाज कराएं। एनीमिया के दौरान आप तुरंत किसी अच्छे चिकित्सक से दिखाएं एवं चिकित्सकों के अनुसार आवश्यक जांच कराएं। वहीं, गर्भवती महिलाओं में एनीमिया की शिकायत अधिक रहती है। इसके लिए गर्भावास्था के दौरान वो नियमित रूप से एएनसी जांच कराएं। ताकि, शरीरिक कमजोरियों को दूर किया जा सके। यदि वो ऐसा नहीं करती हैं, तो उनके बच्चों के भी एनीमिक होने की संभावना बढ़ जाती है।


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